मसूरी-नैनीताल ही नहीं उत्तराखंड में घूमने की ये भी हैं खूबसूरत जगह

मसूरी, औली और नैनीताल तो आप घूमते ही हैं, लेकिन उत्तराखंड में कईं और ऐसे पर्यटन स्थल हैं जहां कम ही पर्यटक रुख करते हैं। इन पर्यटन स्थलों की खूबसूरती देखते ही बनती है। तो ऐसे में आप नए साल पर इन पर्यटन स्थलों पर घूमने का प्लान कर सकते हैं।

केदारकांठा
उत्तरकाशी में मोरी के सांकरी से दस किमी दूर समुद्रतल से 12500 फीट की ऊंचाई पर केदारकांठा बुग्याल स्थित है। जहां दूर-दूर तक फैली पहाड़ियों के बीच सूर्योदय और सूर्यास्त का मनमोहक नजारा दिखाई देता है। पिछले कुछ वर्षों से केदारकांठा ने शीतकालीन पर्यटन स्थल के रूप में पहचान बनाई है। यही वजह है कि वर्षांत पर यहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। केदारकांठा से स्वर्गारोहिणी, बंदरपूंछ, व्हाइट माउंटेन, कालानाग, गरूड़ पर्वत श्रृंखलाओं का मनोहारी दृश्य दिखाई देता है। पिछले कुछ वर्षों से जनपद में शीतकाल में सर्वाधिक पर्यटक केदारकांठा का ही रुख कर रहे हैं।

नेलांग घाटी
उत्तरकाशी मुख्यालय से करीब 115 किमी की दूरी पर स्थित नेलांग घाटी भौगोलिक परिस्थितियों में लद्दाख और स्फीति घाटी से मेल खाती है। इस कारण इसे उत्तराखंड के लद्दाख के रूप में भी जाना जाता है। चीन सीमा के निकट स्थित यह घाटी पर्यटकों के बीच खासी लोकप्रिय हुई है।

क्वारीपास, तपोवन, नीती घाटी
चमोली जिले के प्रसिद्ध हिमक्रीड़ा स्थल औली के अलावा इसके समीपवर्ती पर्यटन स्थल क्वारीपास, तपोवन, नीती घाटी की टिम्मरसैंण बर्फानी बाबा गुफा, गोरसों बुग्याल जैसे पर्यटन स्थलों में भी पर्यटक सेर सपाटे पर जा सकते हैं। क्वारीपास ट्रेकिंग रूट है, जो तपोवन तक जाता है। यह लार्ड कर्जन रोड का प्रमुख स्थल है। तपोवन क्षेत्र भविष्य बदरी मंदिर का मुख्य पड़ाव है। यह चीन सीमा क्षेत्र में स्थित है। इससे करीब 40 किलोमीटर दूर टिम्मरसैंण महादेव की गुफा स्थित है। जो बाबा बर्फानी के नाम से जानी जाती है। पर्यटक दिनभर यहां प्राकृतिक नजारों का लुत्फ उठाने के बाद जोशीमठ या सुरांईथोटा में रात्रि प्रवास के लिए आ सकते हैं।

मिनी स्वीट्जरलैंड चोपता
मिनी स्वीट्जरलैंड के नाम से प्रसिद्ध चोपता रुद्रप्रयाग ही नहीं पूरे प्रदेश का सबसे रमणीक पर्यटक स्थल है। यहां वर्षभर पर्यटकों का आना होता है। साथ ही दुगलबिट्टा और बनियाकुंड में भी पर्यटकों की पहली पसंद है। रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर कुंड से लगभग 50 किमी की दूरी पर स्थित समुद्रतल से लगभग 9000 फीट की ऊंचाई पर स्थित चोपता अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए सबसे अलग है। बांज, बुरांश और देवदार सहित अन्य प्रजाति के पेड़ों से घिरे इस क्षेत्र में बुग्याल भी हैं। चोपता से तीन किमी की पैदल दूरी तय कर तृतीय केदार तुंगनाथ पहुंचा जाता है।

देवरियाताल
ऊखीमठ ब्लॉक में ग्राम पंचायत सारी से लगभग तीन किमी की दूरी पर स्थित देवरियाताल अपने अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए खास है। बांज, बुरांश के जंगल के घिरा ताल क्षेत्र में वर्षभर पर्यटक पहुंचते हैं। यहां पहुंचने वाले पर्यटक सीधे प्रकृति से रूबरू होते हैं।

गनहिल और लालटिब्बा
गनहिल शहर के बीचोंबीच स्थित पर्यटक स्थल है। एक समय इसे तोपटिब्बा भी कहते थे। गनहिल पहुंचने के लिए मालरोड में झूलाघर से रोपवे में बैठकर पहुंचा जाता है। यहां से हिमालय के व्यू का आनंद ले सकते हैं।

देहरादून का आनंदवन
देहरादून के झाझरा में विकसित आनंदवन सैलानियों की नई सैरगाह के रूप में तेजी से लोकप्रिय होता जा रहा है। यहां पर ध्यान केंद्र, कृत्रिम बुग्याल (हरियाले घास के मैदान ), जड़ी बूटियों वाली नक्षत्र वाटिका, ट्री हट, बंबू हट, उत्तराखंड में मिलने वाले जीवजंतु जैसे हाथी, तेंदुआ, बाघ की प्रतिकृतियां सबको लुभाती हैं। उत्तराखंड की परंपरा को देखते हुए हट के नाम केदार कुटीर और बद्री कुटीर रखे गए हैं। इसके अलावा यहां साहसिक पर्यटन की भी सामग्री मौजूद है। इसमें बर्मा ब्रिज, कमांडो नेट और जिप लाइन जैसी चीजें युवाओं को खास तौर पर अपनी ओर खींच रही हैं। बच्चों को लुभाने के लिए यहां बटर फ्लाई गार्डन और बर्डिंग पैराडाइज बनाया गया है।

काणाताल
काणाताल टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित एक गांव है। यह चंबा से 12 किमी दूर है। काणाताल में प्रसिद्ध सुरकंडा देवी मन्दिर स्थित है। यहां रोमांच के शौकीनों के लिए भी कई एडवेंचर एक्टिविटी कराई जाती हैं।

गेठिया
गेठिया नैनीताल के पास स्थित बेहद सुंदर गांव है। अल्मोड़ा हाईवे पर काठगोदाम रेलवे स्टेशन से करीब 28 किलोमीटर दूर स्थित यह गांव प्राकृतिक सुंदरता को अपने में समेटे हुए हैं। यह ट्रैकिंग और नेचर लवर के लिए तो मुफीद है ही। यहां सैलानी ग्रामीणों के जनजीवन से भी रूबरू हो सकते हैं। यहां से सूर्यास्त और सूर्योदय का नजारा देखने लायक होता है। यह गांव नैनीताल से महज 15 से 20 किलोमीटर दूर है। पर्यटक यहां होटल, रिजॉर्ट और कैंपिंग साइट में ठहरकर एक अलग तरह का अनुभव कर सकते हैं।

ज्योलीकोट
बीते कुछ समय में ज्योलीकोट बर्ड वॉचिंग के लिए आदर्श स्थल बनकर उभरा है। नदी, झरनों से घिरे इस कस्बे में सैलानी शानदार समय बिता सकते हैं। यह भी अल्मोड़ा हाईवे पर काठगोदाम से महज 20 किमी की दूरी पर स्थित है। फोटोग्राफी के शौकीन यहां कई नजारों को अपने कैमरे में कैद कर सकते हैं।

धानाचूली
भीमताल से करीब 26 किमी दूर स्थित धानाचूली से हिमालय का नयनाभिराम करने वाला नजारा देखने को मिलता है। मौसम साफ होने पर पर्यटक नंदा देवी, त्रिशूल और पंचाचूली की चोटियों का दीदार कर सकते हैं। यहां से निकटतम एयरपोर्ट पंतनगर है, जबकि निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है।

लोहाघाट
लोहाघाट चंपावत जिले में लोहावती नदी के किनारे ऊंचे-ऊंचे देवदारों के वृक्षों के बीच बसा है। धार्मिक ओर एतिहासिक मान्यताओं वाली इस जगह में पर्यटकों के लिए एक्सप्लोर करने के लिए काफी चीजें हैं। पर्यटक यहां देवीधुरा, रीठा साहिब गुरुद्वारा, एबॉट माउंट, वाणासुर का किला, मायावती आश्रम आदि स्थानों पर घूम सकते हैं।

हर्षिल
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 85 किमी की दूरी पर स्थित हर्षिल में प्रकृति ने दिल खोलकर नेमतें बरसी है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती है। यहां से हिमाच्छादित चोटियों का नजारा और सेब बगानों के बीच से बहती जालंधरी और ककोड़ागाड का गंगा भागीरथी के साथ संगम पर्यटकों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां पर्यटक जाड़-भोटिया समुदाय द्वारा तैयार हाथ के बने ऊनी वस्त्र भी खरीद सकते हैं। इसके साथ जाड भोटिया समुदाय के ग्राम ग्राम बगोरी में बौद्ध मंदिर व लकड़ी के बने भवनों का भी दीदार किया जा सकता है। हर्षिल में गर्मियों में लामा टॉप भी दर्शनीय स्थल है।

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