लखीमपुर खीरी का दुधवा नेशनल पार्क बाघ और प्राकृतिक सुंदरता के लिए ही नहीं, दुर्लभ जीव-जंतुओं के लिए भी दुनिया में प्रसिद्ध है। दुधवा की पारिस्थितिकी इतनी अनुकूल है कि यहां दुर्लभ प्रजाति के कई जीव-जंतु मौजूद हैं। अक्सर ऐसे जीव वनकर्मियों को दिख जाते हैं, जो बेहद दुर्लभ प्रजाति के होते हैं। हाल ही में दुधवा की उत्तर निघासन वन रेंज के बेलरायां जंगल में बेहद दुर्लभ प्रजाति का लाल सांप देखा गया है।
वनकर्मियों को सफाई के दौरान लाल रंग का सांप दिखाई दिया, जिसे रेड कोरल कुकरी के नाम से जाना जाता है। रेड कोरल कुकरी वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 4 के तहत सूचीबद्ध है। अति दुर्लभ श्रेणी में आने वाला यह सांप विष रहित होता है। इस सांप को उत्तर निघासन वन रेंज बेलरायां के रेंजर भूपेंद्र कुमार की मौजूदगी में जंगल में छोड़ दिया गया। वन अधिकारियों का कहना है कि इससे पूर्व में भी यह सांप दुधवा में कई बार देखा जा चुका है।
खेत में दिखा गिद्धों का झुंड
बिजुआ इलाके में गिद्धों का एक झुंड रविवार को जंगल किनारे बसे ग्राम बैबहा मुन्नूसिंह के खेत में बैठा दिखाई दिया। इसकी जानकारी होते ही ग्रामीणों की भीड़ खेत के पास पहुंच गई। स्थानीय लोगों ने बताया कि प्राकृतिक सफाई कर्मी गिद्ध कभी-कभार दिखाई देते हैं। प्रकृति प्रेमियों ने भी खुशी जाहिर की। फॉरेस्टर नरेश कुमार ने बताया कि गिद्धों का झुंड खेत में दिखने की सूचना ग्रामीणों ने दी थी, जब तक वह पहुंचे, गिद्ध उड़ चुके थे।
दुधवा में 400 प्रजातियों के पक्षी भी
दुधवा टाइगर रिजर्व में 400 प्रजातियों के पक्षी भी सूचीबद्ध हैं। इनमें सबसे दुर्लभ बंगाल फ्लोरिकन की मौजूदगी दुधवा को विशेष बनाती है। भले ही इनकी संख्या कम हो लेकिन इनका दुधवा में मौजूद रहना ही खास है। दुधवा की पारिस्थितिकी की अनुकूलता का ही यह परिणाम है कि हर साल नेपाल से बड़ी संख्या में जंगली हाथी आकर यहां प्रवास करते हैं। हजारों किलोमीटर की लंबी उड़ान भरकर ठंडे देशों के हजारों रंग-बिरंगे प्रवासी परिंदे आकर दुधवा दुधवा के जलाशयों में चार माह के लिए अपना बसेरा बनाते हैं। बड़ी संख्या में भालू भी यहां पाए जाते हैं।