देश में डिजिटल क्रांति के बाद यूपीआई (UPI) ट्रांजेक्शन का चलन तेजी से बढ़ा हैं। देश में फरवरी 2024 में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से 122 करोड़ ट्रांजेक्शन के साथ 18.2 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन किया गया।
यह ट्रांजेक्शन जनवरी 2024 की तुलना में कुछ कम रहा। जनवरी में 121 करोड़ ट्रांजेक्शन के साथ 18.4 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ था। एनपीसीआई (NPCI) ने बताया कि देश में रोजाना औसतन 40 हजार करोड़ से 80 हजार करोड़ रुपये का यूपीआई ट्रांजेक्शन होता है।
इन आंकड़ों से पता चलता है कि ऑनलाइन पेमेंट के दो अन्य साधन एनईएफटी (NEFT) और आरटीजीएस (RTGS) के जरिये भी ऑनलाइन पेमेंट हुए हैं। इनमें से एनईएफटी में औसत लेनदेन 33.85 लाख करोड़ रुपये और आरटीजीएस में 146 लाख करोड़ रुपये था।
इंटरनेट बैंकिंग से 91.24 लाख करोड़ रुपये और मोबाइल बैंकिंग से 28.16 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ। बता दें कि भारत आज दुनिया के लगभग 46 फीसदी डिजिटल लेनदेन (2022 के आंकड़ों के अनुसार) के लिए जिम्मेदार है।
यूपीआई ट्रांजेक्शन में तेजी
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मार्च महीने की शुरुआत में बताया कि भारत में डिजिटल भुगतान में यूपीआई की हिस्सेदारी 2023 में 80 प्रतिशत के करीब पहुंच गई है। यह देश में मॉर्डन पेमेंट सिस्टम के विकास की रूपरेखा को दर्शाता है।
भारत में रिटेल डिजिटल पेमेंट वित्तीय वर्ष 2012-13 में 162 करोड़ लेनदेन से बढ़कर 2023-24 (फरवरी 2024 तक) में 14,726 करोड़ से अधिक लेनदेन हो गया है। इसका मतलब है कि 12 वर्षों में लगभग 90 गुना वृद्धि हुई है।
यूपीआई भारत की मोबाइल-बेस्ड पेमेंट सिस्टम है। यह ग्राहकों को वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (वीपीए) का उपयोग करके चौबीसों घंटे तुरंत पेमेंट करने की सुविधा देती है।
भारत में खुदरा डिजिटल भुगतान के लिए यूपीआई भुगतान प्रणाली बेहद लोकप्रिय हो गई है और इसका चलन तेजी से बढ़ रहा है।
भारत सरकार का मुख्य जोर है कि यूपीआई के लाभ केवल भारत तक ही सीमित न रहें। यूपीआई का इस्तेमाल विदेश में भी किया जा सकता है। अब तक, श्रीलंका, मॉरीशस, फ्रांस, संयुक्त अरब अमीरात और सिंगापुर ने यूपीआआई को लेकर भारत के साथ साझेदारी की है।