कानपुर में सांस के रोगियों के लिए राहत वाली खबर है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डॉ. मुरारीलाल चेस्ट हॉस्पिटल परिसर में सांस रोग का एक नया अस्पताल बनेगा। चार तल के इस अस्पताल में रोगियों को एक ही छत के नीचे सभी सुविधाएं मिल जाएंगी। इसमें 50 बेड का आईसीयू होगा। इससे सांस के रोगियों को हैलट रेफर करने की नौबत नहीं आएगी। इस अस्पताल में सांस रोगियों की छोटे स्तर की सर्जरी भी हो जाएगी।
मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने नए अस्पताल की योजना का खाका फाइनल कर दिया है। चुनाव आचार संहिता खत्म होने के बाद कार्यदायी संस्था के चयन के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा। नए अस्पताल के लिए अनुमानित बजट तकरीबन 27 करोड़ रुपये है। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया कि सांस रोगियों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर अस्पताल की योजना फाइनल कर दी गई है।
नए अस्पताल का भवन सीएसआर फंड बनवाए जाने का इरादा है। लेकिन अगर सीएसआर से मदद नहीं हो पाती है, तो कॉलेज प्रबंधन अपने पैसे इस अस्पताल को बनवाएगा। नए अस्पताल में ग्राउंड फ्लोर के अलावा तीन तल होंगे। एक बेसमेंट होगा, जिसमें रोगियों के तीमारदारों और अस्पताल के स्टॉफ के वाहन खड़े हो सकेंगे। नए सांस रोग अस्पताल के लिए साढ़े तीन करोड़ के उपकरण भी स्वीकृत हो गए हैं।
एक ही छत के नीचे रहेगी ओप़ीडी और इमरजेंसी
अस्पताल बनने के बाद रोगियों की उच्चीकृत जांच शुरू हो जाएंगीं। कार्डियोलोजी समेत दूसरे विभागों के विशेषज्ञ आकर भी रोगियों को मशविरा देंगे। रेस्पेरेटरी मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. संजय वर्मा ने बताया कि कार्ययोजना तैयार करके अस्पताल में नई सुविधाएं शुरू करने की योजना बनेगी। रोगियों के लिए एक ही छत के नीचे ओप़ीडी रहेगी। साथ ही, इमरजेंसी भी रहेगी। रोगियों और तीमारदारों को बैठने की पर्याप्त जगह मिल सकेगी। अस्पताल बड़ा होने से नए वार्ड बनेंगे, जिसमें अधिक रोगियों को भर्ती किया जा सकेगा।
नए अस्पताल से ये होंगे फायदे
- रेडियो डायग्नोस्टिक और पैथोलॉजी एक ही स्थान पर होगी।
- आईसीयू के 50 बेड और बढ़ेंगे, अभी सिर्फ छह बेड।
- सांस तंत्र के विभिन्न रोगों की सटीक जांच होगी।
- नए उपकरणों से जांच में डायग्नोसिस तैयार करने में आसानी होगी।
- सांस रोगियों को हायर सेंटर रेफर करने की जरूरत नहीं रहेगी।
- आईएलडी, अस्थमा, एलर्जी की अलग-अलग ओपीडी चलेगी।
रोगियों के आंकड़ों पर नजर
- अस्पताल की प्रतिदिन की औसत ओपीडी 250 रोगी।
- रोज भर्ती होने वाले रोगियों की औसत संख्या 95।
- छह बेड का आईसीयू हमेशा रहता है फुल।
- एक साल में भर्ती होते हैं औसत साढ़े तीन हजार रोगी।
- साल भर में ओपीडी में आते हैं औसतन 70 हजार रोगी।
इमरजेंसी में 20 बेड और बढ़ेंगे
अभी रोगियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए इमरजेंसी में 20 बेड और बढ़ाने की योजना है। अभी इमरजेंसी 10 बेड की है। डॉ. संजय काला ने बताया कि 20 बेड और बढ़ा दिए जाएंगे जिससे रोगियों को राहत मिले।