चैत्र पूर्णिमा का हिंदुओं में बड़ा धार्मिक महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस शुभ समय पर भगवान विष्णु और चंद्रमा की पूजा करते हैं उन्हें मनचाही इच्छाओं का वरदान मिलता है। इसे चैती पूनम के नाम से भी जाना जाता है और इस साल यह 23 अप्रैल, 2024 को मनाई जाएगी।
ऐसी मान्यता है जो भक्त लंबे समय से किसी समस्या से जूझ रहे हैं उन्हें इस दिन का उपवास अवश्य करना चाहिए। साथ ही इस दिन के नियमों का पालन करना चाहिए, तो आइए जानते हैं –
कब है चैत्र पूर्णिमा ?
इस साल चैत्र मास की पूर्णिमा 23 अप्रैल सुबह 03 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन 24 अप्रैल सुबह 05 बजकर 18 मिनट पर होगा। उदयातिथि को देखते हुए चैत्र पूर्णिमा का व्रत 23 अप्रैल को रखा जाएगा। ऐसे में अगर आप किसी भी प्रकार की विशेष पूजा करना चाहते हैं, तो 23 अप्रैल को ही करें।
चैत्र पूर्णिमा पर करें ये काम
भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करें।
इस दिन भगवान शिव की पूजा करना भी शुभ माना जाता है।
इस तिथि पर चंद्र मंत्र जाप करने से मानसिक तनाव दूर करने में मदद मिलती है।
इस दिन खीर बनाकर चंद्रमा के नीचे रखकर खाना चाहिए।
इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
इस दिन गंगा नदी में पवित्र स्नान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
इस दिन ज्यादा से ज्यादा पूजा-पाठ पर जोर देना चाहिए।
इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य अवश्य देना चाहिए।
चैत्र पूर्णिमा पर न करें ये काम
पूर्णिमा के इस शुभ दिन पर भूलकर भी तामसिक भोजन न खाएं।
इस शुभ दिन पर शराब का सेवन करने से बचें।
इस दिन अपने बाल और नाखून न काटें।
पूर्णिमा के दिन अपने जीवनसाथी के साथ वाद-विवाद करने से बचें।
इस दिन जुए में शामिल होना अशुभ माना जाता है।
इस दिन मां का अपमान करने से जीवन में अशुभता आती है।