वित्त मंत्रालय का मानना है कि मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक इस साल सामान्य से अधिक मानसून रहेगा और फलस्वरूप आने वाले महीनों में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी आएगी।
अभी खुदरा महंगाई दर भले ही पांच प्रतिशत से नीचे आ गई है, लेकिन खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर आठ प्रतिशत से अधिक है। इस साल मार्च में खुदरा महंगाई दर 4.85 प्रतिशत थी जबकि खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 8.5 प्रतिशत थी। इस साल फरवरी में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 8.7 प्रतिशत थी।
वित्त मंत्रालय की तरफ से गुरुवार को जारी जारी मासिक रिपोर्ट के मुताबिक मानसून सीजन में सामान्य से अधिक बारिश होने से फसल का उत्पादन अधिक होने का अनुमान है। रिपोर्ट के मुताबिक खाद्य वस्तुओं की महंगाई सरकार की प्रमुख चुनौती है।
सरकार उठा रही है अहम कदम
सरकार आयात को खोलने, स्टाक सीमित करने एवं सरकारी कीमत पर कई वस्तुओं की बिक्री जैसे प्रयासों से खाद्य वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है। मुख्य रूप से दाल व सब्जी के दाम में बढ़ोतरी से खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर आठ प्रतिशत से ऊपर पहुंच गई है। अभी दाल की कीमत काफी तेज है, इसलिए इस बार खरीफ सीजन में दाल की बुवाई अधिक होने की उम्मीद की जा रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक अभी दुनिया भर में खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतें चुनौती बनी हुई है। जर्मनी, इटली, फ्रांस, दक्षिण अफ्रीका व ब्रिटेन जैसे देश खाद्य वस्तुओं की महंगाई से प्रभावित है और वैश्विक स्तर पर खाद्य वस्तुओं के दाम को नियंत्रण में लाने का प्रयास किया जा रहा है।
वित्त मंत्रालय का यह भी मानना है कि विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के सूचकांक को देखते हुए घरेलू स्तर पर मैन्यूफैक्चरिंग और सेवा दोनों ही सेक्टर में विस्तार जारी रहेगा। हालांकि भू-राजनीतिक तनाव चिंता का विषय है, लेकिन धीरे-धीरे इस तनाव में कमी की संभावना है जिससे विकास में और बढ़ोतरी हो सकती है।
विभिन्न वैश्विक एजेंसियां और आरबीआई पहले ही कह चुकी है कि इस साल भी भारत सबसे तेज गति से विकास करने वाला देश होगा।
वित्त मंत्रालय का मानना है कि मैन्यूफैक्चरिंग प्रोत्साहन से जुड़ी प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम का परिणाम अब दिखने लगा है और भारतीय निर्यात में भी चालू वित्त वर्ष में बढ़ोतरी का रुख रहने का अनुमान है। इस वजह से चालू वित्त वर्ष में व्यापार घाटे में भी कमी आएगी।