भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान मंगलवार को हिंद प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा पर आयोजित एक वर्चुअल सम्मेलन में शामिल हुए। इस सम्मेलन का आयोजन अमेरिका की इंडो पैसिफिक कमांड के कमांडर एडमिरल जॉन सी एक्विलिनो ने किया। इस सम्मेलन में 27 देशों के वरिष्ठ सैन्य कमांडर शामिल हुए। इस वर्चुअल सम्मेलन में सैन्य सहयोग बढ़ाने, साझा सुरक्षा मुद्दों पर सहयोग, हिंद प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। साथ ही उद्देश्यों की पूर्ति संबंधी समीक्षा भी की गई।
हिंद प्रशांत क्षेत्र क्यों है अहम
हिंद प्रशांत महासागर का क्षेत्र अमेरिका की सामरिक रणनीति का केंद्र है और अमेरिका इस क्षेत्र में भारत के साथ व्यापक सहयोग का हिमायती है। हिंद प्रशांत महासागर में चीन का प्रभाव भी लगातार बढ़ रहा है, जिसकी वजह से अमेरिका इस क्षेत्र के देशों के साथ लगातार सहयोग बढ़ा रहा है। वर्तमान में हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र में 38 देश शामिल हैं, जो दुनिया के कुल सतह क्षेत्र का 44 प्रतिशत हैं। यहीं पर दुनिया की 65 प्रतिशत आबादी रहती है और आर्थिक तौर पर बात करें तो दुनिया की कुल जीडीपी में से 62 प्रतिशत हिस्सा हिंद प्रशांत क्षेत्र से ही आता है। दुनिया के कुल व्यापार का 46 प्रतिशत यहीं से होता है। समुद्र के जरिए होने वाले कुल व्यापार का 75 प्रतिशत इसी इलाके से होकर गुजरता है और यहां के बंदरगाह दुनिया के सबसे व्यस्त बंदरगाह हैं। यही वजह है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में भू-आर्थिक प्रतिस्पर्धा जोर पकड़ रही है। ऐसे में अमेरिका भारत और अन्य सहयोगी देशों के साथ मिलकर हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपना दबदबा बनाना चाहता है। चीन भी इसी कोशिश में लगा है।
हिंद प्रशांत क्षेत्र में भारत की भूमिका
भारत इस क्षेत्र के प्रमुख देशों में से एक है। अमेरिका की हिंद प्रशांत क्षेत्र की रणनीति में भी भारत की अहम भूमिका है। चीन के बढ़ते प्रभाव को भारत ही टक्कर देने की क्षमता रखता है। हिंद महासागर में भारत का दबदबा है। साथ ही भारत अरब सागर में भी प्रभाव रखता है। इन इलाकों में समुद्री सुरक्षा कायम रखने में भारत की भूमिका अहम है।