भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) केंद्र में न सिर्फ लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के करीब पहुंची है बल्कि प्रदेश में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह समेत कई प्रमुख मंत्री व नेताओं ने जीत की हैट्रिक लगाई है। तो दूसरी तरफ भाजपा की सुल्तानपुर से प्रत्याशी मेनका गांधी जहां नौवीं बार जीत से चूक गईं तो कई अन्य नेता भी हैट्रिक की पिच पर पहुंचकर आउट हो गए।
लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से सवा छह लाख वोट पाकर लगातार तीसरी बार चुनाव जीता। हालांकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व इंडी गठबंधन के प्रत्याशी अजय राय ने उन्हें टक्कर दी। उन्हें 4.60 लाख वोट मिले। वहीं लखनऊ से रक्षामंत्री राजनाथ सिंह सिंह ने भी हैट्रिक लगाई है। उन्होंने लगभग 5.76 लाख वोट पाकर सपा के रविदास मेहरोत्रा को सवा लाख वोटों से हराया है। मथुरा से भाजपा प्रत्याशी हेमामालिनी तीसरी बार 5.10 लाख वोट पाकर हैट्रिक लगाई है। उन्होंने इंडी गठबंधन के मुकेश धनगर को 2.93 लाख वोटों से हराया है।
इसी क्रम में गौतमबुद्ध नगर से भाजपा प्रत्याशी डॉ. महेश शर्मा तीसरी बार बड़ी जीत हासिल करने में सफल रहे हैं। उन्होंने न सिर्फ 8.57 लाख से ज्यादा वोट पाए बल्कि सपा प्रत्याशी से उनकी जीत का अंतर भी काफी बड़ा 5.59 लाख का रहा है। केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी भी महराजगंज से लगातार तीसरी बार (कुल 7वीं बार) सांसद बने। हालांकि उनकी जीत का अंतर 35 हजार ही रहा है। उन्नाव से साक्षी महराज, अकबरपुर से देवेंद्र सिंह भोले, बांसगांव से कमलेश पासवान, फतेहपुर सीकरी से राजकुमार चाहर, डुमरियागंज से जगदंबिका पाल हैट्रिक लगाने में कामयाब रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री भी हैट्रिक लगाने से चूके
दूसरी तरफ फतेहपुर से केंद्रीय मंत्री व भाजपा प्रत्याशी साध्वी निरंजन ज्योति, केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर मोहनलालगंज से और चंदौली से केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय हैट्रिक लगाने से चूक गए। मुजफ्फरनगर में केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान तीसरी बार सांसद बनने से मात्र 24672 वोटों से चूक गए। इटावा से रमा शंकर कठेरिया तीसरी बार जीतने से चूक गए। वह पहला चुनाव आगरा से जीते थे और 2019 में इटावा सीट से प्रत्याशी बने और जीते। लेकिन हैट्रिक नहीं लगा सके। कौशांबी से भाजपा के विनोद सोनकर, एटा से भाजपा के राजवीर सिंह, धौरहरा से रेखा वर्मा, जालौन से भानु प्रताप वर्मा (कुल छठीं बार), हमीरपुर से कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल भी तीसरी बार जीत से चूक गए।