प्रधानमंत्री ने इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी सहित कई नेताओं के साथ द्विपक्षीय चर्चा की। अब पीएम मोदी भारत रवाना हो गए हैं और उन्होंने इटली सरकार का धन्यवाद जताया। उन्होंने बताया G7 शिखर सम्मेलन में बहुत ही अच्छा दिन रहा। उन्होंने भविष्य में इटली के साथ काम करने पर भी जोर दिया। इसके अलावा उन्होंने डिफेंस सेक्टर पर भी इटली के साथ चर्चा की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी 7 शिखर सम्मेलन के लिए इटली गए थे। वो देर रात इटली से भारत आ गए हैं, इटली में उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और पोप फ्रांसिस सहित कई नेताओं के साथ द्विपक्षीय चर्चा की।
साथ ही उन्होंने इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के साथ भी द्विपक्षीय वार्ता की और साथ में काम करने पर जोर दिया। इस दौरान उन्होंने रक्षा और सुरक्षा सहयोग पर भी चर्चा की और डिफेंस इंडस्ट्रलियल सहयोग को और बढ़ाने की उम्मीद जताई।
तीसरे कार्यकाल में पीएम मोदी की पहली विदेश यात्रा
जानकारी के लिए बता दें कि तीसरे कार्यकाल में पीएम मोदी बनने के बाद ये उनकी पहली विदेश यात्रा थी। जी7 आउटरीच शिखर सम्मेलन में पार्ट लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जॉर्जिया मेलोनी के निमंत्रण पर गुरुवार देर रात इटली पहुंचे थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इटली की सरकार का आभार जताया और उन्होंने धन्यवाद दिया। उन्होंने जॉर्जिया मेलोनी का धन्यवाद जताते हुए लिखा था, जी7 शिखर सम्मेलन में बहुत ही प्रोडक्टिव दिन रहा। साथ ही उन्होंने भारत को G7 शिखर सम्मेलन का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करने और शानदार व्यवस्थाओं के लिए इटली को धन्यवाद दिया उन्होंने लिखा, हम साथ में बॉयो फ्यूल, खाना और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे प्रोडक्ट के क्षेत्रों में मिलकर काम करेंगे।
इटली अभियान पर भी हुई चर्चा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इटली अभियान में भारतीय सेना के योगदान को मान्यता देने के लिए इटली सरकार को धन्यवाद दिया और बताया कि भारत इटली के मोंटोन में यशवंत घाडगे स्मारक को अपडेट करेगा।
G7 में शामिल हैं ये देश
बता दें कि G7 में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जर्मनी, कनाडा और जापान शामिल हैं। फिलहाल इटली G7 अध्यक्षता संभाल रहा है और शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। भारत के अलावा, इटली ने शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और भारत-प्रशांत क्षेत्र के 11 विकासशील देशों के नेताओं को आमंत्रित किया