दक्षिणात्य शैली के प्रसिद्ध श्री रंगनाथ मंदिर में रविवार को ज्येष्ठाभिषेक का दिव्य आयोजन किया गया। ठाकुर गोदारंगमन्नार भगवान को भीषण गर्मी से राहत करने के उद्देश्य से महाभिषेक वैदिक विधि-विधान से किया गया। इस दौरान चांदी के 81 कलशों से ठाकुरजी जलाभिषेक किया गया। जलाभिषेक में केसर, कपूर, नवांग हल्दी, चंदन, जड़ी बूटियों मिश्रित जल के अलावा विभिन्न फलों का रस और आम के रस का उपयोग किया गया।
रंगनाथ मंदिर में सुबह वैदिक मंत्रोचारण के मध्य जलाभिषेक उत्सव शुरू हुआ। सबसे पहले अभिमंत्रित रजत कलशों को नौ-नौ की कतार में स्थापित कर देश की पवित्र नदियों का आव्हान किया गया। आगम पंचरात्र पद्वति से पूजन प्रक्रिया में गाय का दूध, दही, घी, शहद, शर्करा, इत्र इत्यादि पंचगव्य से अभिषेक शुरू किया गया।
वेदपाठी विद्वानों ने श्री सूक्त, पुरुषसूक्त, वेंकटेश स्त्रोत, गुरु परंपरा, श्री वरद वल्लभ स्त्रोत का पाठ किया गया, जिससे मंदिर परिसर में आध्यात्मिक वातावरण का माहौल हो गया। ठाकुर गोदा रंगमन्नार भगवान के चल श्री विग्रह को मंडपम में विराजित कर सूती परिधान धारण कराकर वैदिक मंत्रोच्चार करते हुए जलाभिषेक शुरू किया गया। लगभग तीन घंटे तक अभिषेक की प्रकिया जारी रही। जलाभिषेक के बाद ठाकुरजी को नए वस्त्र आभूषण धारण कराकर कुंभ आरती उतारी गई। भक्तों को आम्राभिषेक का प्रसाद वितरित किया गया।