The central government approved 10 military projects worth Rs 1.45 lakh crore
The central government approved 10 military projects worth Rs 1.45 lakh crore

केंद्र सरकार ने 1.45 लाख करोड़ रुपये​ की 10 सैन्य परियोजनाओं​ को मंजूरी दी

– मेगा युद्धपोत, युद्धक टैंक परियोजनाओं ​की मंजूरी ​से सेनाओं का स्वदेशीकरण बढ़ेगा – लड़ाकू वाहन, डोर्नियर-228 विमान, अगली पीढ़ी के तेज गश्ती जहाज खरीदे जा सकेंगे

नई दिल्ली: चीन के साथ चल रहे गतिरोध के बीच रक्षा तैयारियों को बढ़ाने के लिए ​केंद्र सरकार ने 1.45 लाख करोड़ रुपये के 10 पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों को मंजूरी दी है। भविष्य के लिए तैयार लड़ाकू वाहनों, वायु रक्षा अग्नि नियंत्रण रडार, डोर्नियर-228 विमानों, अगली पीढ़ी के तेज गश्ती और अपतटीय गश्ती जहाजों की खरीद को ​स्वीकृति मिल गई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को साउथ ब्लॉक में ​हुई बैठक में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, तीनों सेना प्रमुख, रक्षा सचिव और अन्य शीर्ष अधिका​री मौजूद रहे।

रक्षा मंत्रालय प्रमुख परियोजनाएं शुरू करने की तैयारी में है, जिसमें भारतीय नौसेना के लिए सात उन्नत फ्रिगेट का निर्माण और भारतीय सेना के टी-72 टैंकों को आधुनिक फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल्स (एफआरसीवी) से बदलने का प्रस्ताव शामिल है। रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की आज हुई बैठक में केंद्र सरकार ने तीनों सेनाओं के लिए 1.45 लाख करोड़ रुपये के 10 पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों को मंजूरी दी है। इसमें लड़ाकू वाहनों, वायु रक्षा अग्नि नियंत्रण रडार, डोर्नियर-228 विमानों, अगली पीढ़ी के तेज गश्ती और अपतटीय गश्ती जहाजों की खरीद की जानी है।

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रक्षा अधिकारियों के अनुसार भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 17 ब्रावो के तहत सात नए युद्धपोतों का अधिग्रहण करना शामिल है, जो वर्तमान में निर्माणाधीन नीलगिरि श्रेणी के फ्रिगेट के बाद भारत में निर्मित अब तक के सबसे उन्नत स्टील्थ फ्रिगेट होंगे। डीएसी से मंजूरी मिलने के बाद निजी क्षेत्र के शिपयार्ड सहित ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत भारतीय शिपयार्डों को लगभग 70 हजार करोड़ रुपये की निविदा जारी किये जाने की उम्मीद है। निविदा में श्रेणी ए के शिपयार्ड मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड, गोवा शिपयार्ड लिमिटेड और लार्सन एंड टूब्रो आदि शामिल होंगे।

मौजूदा समय में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स प्रोजेक्ट 17ए (नीलगिरी-क्लास) के तहत फ्रिगेट का निर्माण कर रहे हैं, जिसमें एमडीएल में चार और जीआरएसई में तीन फ्रिगेट बनाए जा रहे हैं। बैठक में भारतीय सेना के रूसी मूल के टी-72 टैंकों को 1,700 एफआरसीवी से बदलने के प्रस्ताव पर भी चर्चा हुई। सेना टी-72 को स्वदेशी एफआरसीवी से बदलने की योजना बना रही है, जिसे रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया की मेक-1 प्रक्रिया के तहत बनाया जाएगा। भारतीय विक्रेताओं को 60 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री वाले टैंक बनाने की आवश्यकता होगी और भारत फोर्ज और लार्सन एंड टूब्रो जैसी प्रमुख कंपनियां हैं। भारतीय सेना का लक्ष्य एफआरसीवी परियोजना को कई चरणों में पूरा करना है, जिसमें प्रत्येक चरण में लगभग 600 टैंक बनाए जाएंगे।