नई दिल्ली: कर्नाटक उच्च न्यायलय ने मंगलवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की ओर से दाखिल याचिका को खारिज कर दिया। सिद्धारमैया ने राज्यपाल थावर चंद गहलोत की मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) योजना के तहत उनकी पत्नी को जमीन आवंटन के मामले में उनके खिलाफ दाखिल केस को अनुमति दिए जाने का विरोध किया था।
न्यायाधीश एम. नागप्रसन्ना ने अपने निर्णय में माना कि राज्यपाल की 16 अगस्त को दी गई मंजूरी किसी भी तरह से गलत नहीं थी। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को व्यक्तिगत शिकायत के आधार पर निर्णय देने का अधिकार है।
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उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय ने 12 सितंबर को मामले में अपनी सुनवाई पूरी कर ली थी और आदेश सुरक्षित रखा था। इससे पहले न्यायालय ने बेंगलुरु की एक विशेष अदालत को मामले में आगे की कार्यवाही स्थगित करने का निर्देश दिया था।
उच्च न्यायालय ने कहा कि मंजूरी देने के कारणों का विवरण राज्यपाल की फाइलों में दिया गया था। राज्यपाल की ओर से आदेश पारित करने के लिए स्वतंत्र विवेक का प्रयोग करने में कोई दोष नहीं पाया जा सकता है।
उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि राज्यपाल ने सिद्धारमैया के खिलाफ मामला दर्ज करने की मंजूरी देने में जल्दबाजी में निर्णय नहीं लिया था। वहीं कर्नाटक के मुख्यमंत्री के अधिवक्ताओं ने तर्क दिया था कि मंजूरी मांगे जाने के 20 दिनों के भीतर इसकी अनुमति दी गई थी।