यूपी गो सेवा कमीशन का गठन, श्याम बिहारी गुप्ता अध्यक्ष; योगी सरकार ने अब तक 4 आयोगों में की सियासी नियुक्तियां

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार लगातार आयोग का गठन कर रही है. अनुसूचित जाति जनजाति आयोग और पिछड़ा वर्ग आयोग के बाद अब सरकार ने गौ सेवा आयोग का गठन किया है. योगी सरकार सोमवार को आयोग की घोषणा करते हुए पदाधिकारी भी मनोनीत कर दिया है. सरकार ने झांसी के रहने वाले श्याम बिहारी गुप्ता को गोसेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया है.

इसके अलावा सरकार ने दो उपाध्यक्ष और तीन सदस्य भी बनाए हैं. कुशीनगर के कप्तानगंज के रहने वाले जसवंत सिंह उर्फ अतुल सिंह और बस्ती के शिवनगर तुकहिया निवासी महेश कुमार शुक्ला को उपाध्यक्ष बनाया गया है. जबकि मुरादाबाद के दीपक गोयल, महोबा के राजेश सिंह सेंगर और फिरोजाबाद के रमाकांत उपाध्याय को गौ सेवा आयोग में सदस्य बनाया गया है. पशुधन विभाग के प्रमुख सचिव के. रविंद्र नायक ने सोमवार को आयोग के पदों पर नियुक्ति संबंधी आदेश जारी किया है. बता दें कि गोसेवा आयोग का गठन दो साल बाद किया गया है. दो साल से आयोग के पद खाली थे.

बता दें कि गोसेवा आयोग अध्यक्ष बने श्याम बिहारी गुप्ता गऊ पालन एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाते रहते हैं. इसके अलावा वर्षा जल संचयन, गो आधारितक प्राकृतिक खेती, ड्रिप सिंचाई पद्धित, कृषि बागवनी, बायो गैस ऊर्जा और कृषि आधारित कुटीर उद्योगों के माध्यम से युवा, महिलाओं और किसानों के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाते हैं। गुप्ता के इन्हीं कार्यों को देखते हुए योगी सरकार ने अध्यक्ष बनाया है.

इससे पहले योगी सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया था. पूर्व सांसद राजेश वर्मा को पिछड़ा वर्ग का अध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद अनुसूचित जाति जनजाति आयोग का गठन किया गया. जिसका अध्यक्ष बाराबंकी के हैदरगढ़ निवासी पूर्व विधायक बैजनाथ रावत को बनाया गया है. सरकार ने महिला आयोग का भी गठन किया है. बबिता चौहान को महिला आयोग का अध्यक्ष जबकि सपा संरक्षक स्व. मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव को उपाध्यक्ष बनाया था.

गौ सेवा आयोग के प्रमुख कार्य

  • कृषि विश्वविद्यालयों या गाय की प्रजनन और पालन-पोषण और जैव खाद या बायो गैस के क्षेत्र में अनुसंसाधन के कार्य में लगे संगठनों के सहयोग से कार्य करना और चिकित्सीय प्रयोजनों के लिये गाय के जैविक उत्पादन पर अनुसंधान करने के लिये विभिन्न सार्वजनिक या निजी संगठनों से संचालित भारतीय चिकित्सा पद्धति की अनुसंधान परियोजनाओ में सहयोग करना.
  • गाय की स्वदेशी प्रजाति की अच्छी नस्लों के सांड को उत्पन्न करने और चारा प्राप्त करने के प्रयासों गोशालाओं की सहायता करना और वर्तमान गोशालाओं को ऐसे स्थान पर अवस्थित करने में सहायता करना जहां काफी मात्रा में चारा और पानी उपलब्ध हो.
  • उत्तर प्रदेश गोवध-निवारण अधिनियम, 1995 और गोशाला, कांजी हाउस, पशु मेलों और पशु बाजारों को शासित करने वाली विधियों के किसी उपबंध के अतिक्रमण की शिकायत पर जांच करना और उसकी रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत करना.
  • :राज्य में गाय के कल्याण के लिए कार्य करना, गाय के गोबर और मूत्र के वैज्ञानिक उपयोग के लिए इस प्रकार कार्य करना जिससे मृदा उवर्रकता सहित कृषि और घरेलू उपयोग मे उसकी उपयोगिता बढाई जा सके.
  • गोशालाओं की प्रोन्नति और सहायता के लिए कार्य करना, निष्क्रिय गोशालाओं को सक्रिय बनाना.
  • आयोग या सरकार की तरफ से उपलब्ध कराई गई निधि और गोशालाओं और अन्य स्वैच्छिक संगठनों की संपत्तियों के अप्रयोजन को रोकने के लिए गोशालाओं पर पर्यवेक्षण करना और समुचित कार्रवाई के लिए विनिर्दिष्ट उदाहरण को सरकार की नोटिस मे लाना.
  • चरागाहों का विकास करना और अन्य संस्थाओं और निकायों से चाहे निजी हो या सार्वजानिक, सहयुक्त होना.
  • सरकार या अन्य व्यक्तियों से चरागाह विकसित करने या चारा उगाने या चारा बैंक, गोशालाओं और ऐसे अन्य निर्माणों, जैसे अधिनियम के प्रयोजनों के लिए आवश्यक हो, की स्थापना करने के प्रयोजन के लिए आवंटन, उपहार, पट्टा या क्रय कर भू-भाग के लिए आवेदन करना और उन्हें प्राप्त करना.
  • गाय से प्राप्त किये जा सकने वाले आर्थिक लाभों के बारे में लोगों को शिक्षित करना, अभियान चलाना और उन्हें जागरूक करना.
  • दुर्भिक्ष, सूखा और अन्य प्राकृतिक आपदा से प्रभावित क्षेत्रो में गाय के लिये चारा उपलब्ध कराना और ऐसे प्रभावित क्षेत्रों में शिविर लगाना

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