देशबड़ी खबर

लखीमपुर खीरी हिंसाः आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपित आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने के मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। सुनवाई के दौरान यूपी सरकार के वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि हमने हर गवाह को सुरक्षा दी है। 20 मार्च को एक-एक गवाह से व्यक्तिगत रूप से पता किया कि क्या उन्हें कोई खतरा महसूस हो रहा है। सबने मना किया। जेठमलानी ने कहा कि हमने जो हाई कोर्ट में कहा, वही हमारा रुख है।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि साफ बताया गया था कि आशीष मिश्रा ने लोगों पर गाड़ी चढ़ाई लेकिन हाई कोर्ट ने जमानत देते हुए कह दिया कि गोली चलने के सबूत नहीं हैं। दवे ने कहा कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा धमकी दे रहे थे। उप मुख्यमंत्री का यात्रा मार्ग बदलने के बावजूद आरोपित उस रास्ते पर गया, जिस पर किसान थे। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि हाई कोर्ट पोस्टमार्टम जैसी बातों पर क्यों गया। यह ज़मानत का मामला है। केस के मेरिट पर इतनी लंबी चर्चा की ज़रूरत नहीं थी।

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि क्या ज़मानत से पहले पीड़ितों को सुना गया। तब दवे ने कहा कि नहीं। भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के मामले में आसानी से जमानत हो गई। आशीष मिश्रा के वकील रंजीत कुमार ने कहा कि पुलिस को किसानों की तरफ से दी गई रिपोर्ट में ही कहा गया है कि गोली से एक किसान मरा। तभी हाई कोर्ट ने गोली न चलने की बात कही। लोगों ने यह भी कहा कि आशीष गन्ने के खेत में भाग गया। घटनास्थल पर गन्ने का खेत था ही नहीं, धान का था।

रंजीत कुमार ने कहा कि केंद्रीय मंत्री के गांव में दंगल होना था। आंदोलन कर रहे लोगों ने उप मुख्यमंत्री का हेलीकॉप्टर न उतरने देने की धमकी दी थी। इसीलिए मार्ग बदला गया। रंजीत कुमार ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करेगा तो फिर जमानत कौन देगा। मुझे विस्तार से जवाब के लिए तीन दिन दीजिए। रंजीत कुमार ने कहा कि यह कहना गलत है कि हाई कोर्ट ने किसी को नहीं सुना। वहां पीड़ितों को भी सुना गया था। तब जस्टिस हीमा कोहली ने पूछा कि ऐसे संगीन मामले में आपको जमानत की क्या जल्दी थी? तब रंजीत कुमार ने कहा कि क्योंकि मेरा केस यही है कि मैं घटनास्थल पर नहीं था। गांव में था, जहां दंगल हो रहा था।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने रंजीत कुमार से पूछा कि आप यह कह रहे हैं कि हमने बेल रद्द की तो आप हमेशा जेल में रहेंगे। तब रंजीत कुमार ने कहा कि हमें यही लगता है। कोई कोर्ट इस मामले को नहीं छुएगा। एसआईटी सीसीटीवी के आधार पर कह रही है कि मैं पैदल चलते हुए सात मिनट में घटनास्थल से 2.8 किलोमीटर दूर अपने गांव पहुंच गया। क्या यह संभव है। यूपी सरकार के वकील जेठमलानी ने कहा कि जमानत के केस में मिनी ट्रायल नहीं होना चाहिए था लेकिन 10 फरवरी के बाद से कोई अवांछित घटना नहीं हुई। आरोपित के फरार होने का भी कोई खतरा नहीं है।

जेठमलानी ने कहा कि हमें एसआईटी ने कहा कि आरोपित गवाहों को नुकसान पहुंचा सकता है। हमने पर्याप्त सुरक्षा दी है। हमें आशंका नहीं लगी। जेठमलानी ने कहा कि हम एक बार फिर सभी गवाहों से संपर्क कर सुरक्षा का जायज़ा लेना चाहते हैं। तब दवे ने कहा कि राज्य सरकार कह रही है कि 10 फरवरी के बाद कुछ नहीं हुआ। 10 मार्च को एक गवाह पर हमला हुआ। उसे धमकी दी गई कि भाजपा पावर में आ गई है, देखना क्या होगा तुम्हारे साथ।

30 मार्च को कोर्ट ने कहा था कि एसआईटी ने सिफारिश की है कि राज्य सरकार आशीष मिश्रा की ज़मानत रद्द करने का आवेदन कोर्ट में दे। निगरानी करने वाले जज ने भी इसकी सिफारिश की है। उल्लेखनीय है कि यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि उसने आशीष मिश्रा की जमानत का हाई कोर्ट में कड़ा विरोध किया। यूपी सरकार ने कहा था कि आशीष मिश्रा को मिली जमानत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने पर विचार हो रहा है। यूपी सरकार ने कहा है कि मामले के एक गवाह पर हमले और धमकी का आरोप गलत है। यह होली का रंग डालने से जुड़े विवाद में दो पक्षों के बीच मारपीट का मामला है।

कोर्ट ने पिछले 16 मार्च को आशीष मिश्रा और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले के गवाहों को सुरक्षा देने का आदेश दिया था। कोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया था कि वो गवाह पर हुए हमले पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे। 11 मार्च को लखीमपुर खीरी कांड में मारे गए किसानों के परिजन की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष इस मामले को मेंशन करते हुए सुनवाई की मांग की थी। उन्होंने चीफ जस्टिस से कहा कि इस मामले के एक गवाह पर 10 मार्च की रात हमला हुआ।

वकील प्रशांत भूषण के जरिए दायर याचिका में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाई कोर्ट से मिली जमानत को रद्द कराने की मांग की गई है। याचिका में कहा कि आशीष मिश्रा की ज़मानत को उत्तर प्रदेश सरकार ने चुनौती नहीं दी, इसलिए हमको कोर्ट आना पड़ा। याचिका में कहा गया है कि इस मामले में चार्जशीट 3 जनवरी को दाखिल की गई है और आशीष मिश्रा ने चार्जशीट की बातों को हाई कोर्ट के संज्ञान में नहीं लाया। उल्लेखनीय है कि वकील शिवकुमार त्रिपाठी और सीएस पांडा ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश रद्द करने की मांग की है।

याचिका में कहा गया है कि आशीष मिश्रा को जमानत देकर हाईकोर्ट ने गलती की है। याचिका में कहा गया है कि अभी तक केंद्रीय मंत्री से पूछताछ नहीं हुई है। इस मामले में एसआईटी का काम असंतोषजनक है। आरोपित खुलेआम घूम रहे हैं और साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की आशंका है। आशीष मिश्रा के जेल से बाहर आने से गवाहों के प्रभावित होने की आशंका है। गवाहों को अपनी जान का खतरा महसूस हो रहा है। याचिका में एसआईटी से पूरे घटनाक्रम की जानकारी देने का निर्देश देने की मांग की गई है।

याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार से मुआवजा देने की मांग की गई है। आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद 15 जनवरी को जेल से रिहा कर दिया गया। लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर, 2021 को हुई हिंसा में आठ लोगों की जान चली गई थी। इस मामले में एसआईटी 3 जनवरी को लखीमपुर के कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। चार्जशीट में आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपित बनाया गया है।

Zee NewsTimes

Founded in 2018, Zee News Times has quickly emerged as a leading news source based in Lucknow, Uttar Pradesh. Our mission is to inspire, educate, and outfit our readers for a lifetime of adventure and stewardship, reflecting our commitment to providing comprehensive and reliable news coverage.

संबंधित समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button