देश

वीरता के लिए राष्ट्रपति के वायु सेना पदक से सम्मानित किये गए सात अधिकारी

  • – शांति काल में उल्लेखनीय सेवा के लिए दिया जाता है वायु सेना पदक
  • – भारत के राष्ट्रपति ने 17 जून, 1960 को की थी इस पदक की स्थापना 

देश के 76वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर वायु सेना के सात अधिकारियों को उनकी वीरता के लिए राष्ट्रपति के वायु सेना पदक से सम्मानित किया गया है। इनमें फ्लाइंग (पायलट) डी रवींद्र राव, ग्रुप कैप्टन राहुल सिंह, ग्रुप कैप्टन रवि नंदा, सार्जेंट परमेंदर सिंह परमार, सार्जेंट श्याम वीर सिंह, स्क्वाड्रन लीडर दिलीप गुरनानी और विंग कमांडर दीपिका मिश्रा हैं। वायु सेना पदक एक भारतीय सैन्य सम्मान है, जिसे सामान्यतः शांति काल में उल्लेखनीय सेवा के लिए दिया जाता है। यह सम्मान मरणोपरांत भी दिया जाता है। वायु सेना पदक की स्थापना 17 जून, 1960 को भारत के राष्ट्रपति ने की थी और 1961 से सम्मान दिए जाने लगे।

लेफ्टिनेंट डी रवींद्र राव

फ्लाइंग (पायलट) डी रवींद्र राव एक फाइटर स्क्वाड्रन में तैनात हैं। वह 06 नवंबर 21 को एक डिटैचमेंट के हिस्से के रूप में जगुआर लड़ाकू विमान को दूसरे बेस पर ले जा रहे थे। जमीन पर उतरने के बाद निरीक्षण करते समय उन्होंने एक जोरदार विस्फोट सुना और देखा कि एक दूसरा जगुआर विमान दुर्घटनाग्रस्त होनेके बाद फिसलकर रनवे से बाहर निकल गया। दुर्घटना स्थल पर पहुंचकर देखा कि दुर्घटनाग्रस्त विमान उल्टा हो गया है, जिसमें काकपिट की छत का एक हिस्सा टूटा हुआ था। विमान के दोनों इंजन अभी भी चल रहे थे और पायलट घायल होकर इजेक्शन सीट से बंधा हुआ था। इसी बीच दो क्रैश फायर टेंडर (सीएफटी) दुर्घटनास्थल पर पहुंच गए। फ्लाइट लेफ्टिनेंट डी रवींद्र राव बिना समय बर्बाद किए उल्टे हो चुके कॉकपिट में रेंगकर गए और इंजन को बंद करने का प्रयास किया।

इसी बीच इंजन पर छिड़का गया पानी गर्म हो गया और बड़ी मात्रा में छिड़काव किए गए सीओटू फोम ने उस सीमित स्थान में सांस लेना मुश्किल बना दिया। इसके बावजूद फ्लाइट लेफ्टिनेंट ने सभी खतरों की परवाह किए बिना बचाव अभियान जारी रखा। उन्हें फंसे हुए पायलट के पैरों तक पहुंचना पड़ा और आधी बेहोशी में पहुंच चुके पायलट को मुक्त करने के लिए लेग-रिस्ट्रेनर और जी-सूट के खुले हिस्से को हटाना पड़ा। उन्होंने पायलट को विमान से निकालने, उड़ान के दौरान पहने जाने वाले कपड़ों को हटाने, उन्हें प्राथमिक चिकित्सा देने और पायलट को क्रैश स्ट्रेचर पर बांधने में भी मदद की।

फ्लाइट लेफ्टिनेंट डी रवींद्र राव ने अपने जीवन के लिए प्रत्यक्ष खतरे का सामना करने के लिए असाधारण साहस और वीरता दिखाई। वह अपनी सामान्य ड्यूटी की जिम्मेदारियों से बहुत आगे निकलकर आधे बेहोश हो चुके पायलट के बचाव में व्यक्तिगत रूप से खुद को शामिल किया। उन्होंने बचाव अभियान को प्रभावी ढंग से पूरा करने में बचाव दल की सहायता की और मार्गदर्शन किया। असाधारण साहस के इस कार्य के लिए फ्लाइट लेफ्टिनेंट डी रवींद्र राव को वायु सेना पदक (वीरता) से सम्मानित किया गया है।

ग्रुप कैप्टन राहुल सिंह

फ्लाइंग (पायलट) सी-17 ट्रांसपोर्ट स्क्वाड्रन में तैनात ग्रुप कैप्टन राहुल सिंह को पिछले साल 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे के समय ‘ऑपरेशन देवी शक्ति’ की जिम्मेदारी दी गई थी। उन्हें काबुल से भारतीय दूतावास के कर्मचारियों और प्रवासी भारतीयों को निकालने के लिए तीन सी-17 परिवहन विमानों का मिशन कमांडर बनाया गया। मैनपैड्स (मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम) और हवाई अड्डे के चारों ओर छोटे हथियारों से गोलीबारी के साथ किसी नेविगेशन सहायता न होने और संचार के पूरी तरह बंद होने की वजह से उपजे वास्तविक खतरे के बीच मिशन को जटिल योजना और व्यापक तैयारी की आवश्यकता थी।

भारत से भेजा गया विमान रात को काबुल हवाई अड्डे पर उतरा। करीब चार घंटे तक अपनी जगह पर खड़े रहने के बाद भी बाकी लोगों के हवाईअड्डे पर पहुंचने की संभावना कम ही थी। इसी बीच उस समय स्थिति और प्रतिकूल हो गई जब छिटपुट गोलीबारी के बीच नागरिकों के झुंड दक्षिणी हिस्से की दीवार टूटने के साथ अंदर दाखिल होकर उत्तरी भाग में खड़े विमानों की ओर भाग रहे थे। बेहतर और तेजी के साथ लिए निर्णय से ग्रुप कैप्टन राहुल सिंह ने विमान को किसी भी तरह के नुकसान से बचाने के लिए दुशांबे के लिए तेजी के साथ प्रस्थान किया।

दुशांबे में वह सैटकॉम के माध्यम से एयर हेडक्वार्टर ऑपरेशन रूम और इंडियन एयर अताशे के साथ लगातार संपर्क में रहे ताकि जमीन की स्थितियों की लगातार जानकारी मिलती रहे और एक बार फिर एयरपोर्ट पर उतरने की कोशिश की जा सके। आधी रात के करीब उन्होंने एनवीजी (नाइट विजन गॉगल्स) का उपयोग करके संभावित ब्लाइंड लैंडिंग के लिए काबुल की ओर उड़ान भरी। काबुल हवाई अड्डे से कुछ ही दूर विमान को डूरंड लाइन के पास करीब एक घंटे के लिए हवा में ही रहना पड़ा क्योंकि एटीसी टावर और रडार अप्रोच सर्विस के साथ संचार स्थापित नहीं किया जा सका।

ग्रुप कैप्टन ने ऐसे विपरीत हालातों में यूएसएएफ एयरबोर्न कंट्रोल से संपर्क करके जमीनी स्थिति की सटीक जानकारी हासिल की। साथ ही वे सैटकॉम के माध्यम से जमीन पर मौजूद एयर अताशे के साथ संपर्क में थे। काफी देर तक बातचीत के बाद अंततः विमान को अपने जोखिम पर उतरने के लिए मंजूरी दे दी गई। लैंडिंग के बाद अधिकारी ने यूएस ग्राउंड फोर्स कमांडर के साथ संपर्क स्थापित किया और गरुड़ बलों को विमान के चारों ओर एक रक्षात्मक परिधि स्थापित करने का निर्देश दिया। विमान में सवार होने के लिए 153 लोग चार घंटे की देरी से पहुंचे लेकिन जमीनी हमले से बचने के लिए अधिकारी ने तुरंत विमान को पार्किंग एरिया से बाहर निकाला और इस सामरिक उड़ान को सटीकता के साथ अंजाम दिया।

ग्रुप कैप्टन रवि नंदा

फ्लाइंग (पायलट) ग्रुप कैप्टन रवि नंदा सी-130जे ट्रांसपोर्ट स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर हैं। 20 अगस्त, 2021 को ‘ऑपरेशन देवी शक्ति’ के एक हिस्से के तौर पर उन्हें विशेष ऑपरेशन का जिम्मा दिया गया। वहां से दूतावास के कर्मचारियों को 16 अगस्त को ही निकाल लिया गया था, इसलिए जमीनी स्तर की भरोसेमंद खुफिया जानकारी हासिल करने का कोई स्रोत नहीं था। वे काबुल के संघर्ष क्षेत्र के बीचों बीच उड़ान भर कर जाने के मिशन के कमांडर थे, ताकि वहां खतरे का सामना कर रहे भारतीयों को तत्परता से निकालने के लिए एक ‘विशेष सरकारी टीम’ को वहां दाखिल किया जा सके।

उन्होंने आधी रात के बेहद उच्च जोखिम वाले मिशन का नेतृत्व किया। उनके सामने एक पूरी तरह से अनियंत्रित हवाई क्षेत्र था। बेहद कठिन पहाड़ी इलाकों के बीच शत्रुतापूर्ण ज़मीनी स्थिति थी जिसमें छोटे हथियार, रॉकेट से छोड़े जाने वाले ग्रेनेड और शोल्डर लॉन्च मिसाइलें मौजूद थीं। लक्षित हवाई क्षेत्र में खुफिया जानकारी की कमी के कारण ऊंचे स्तर के खतरे मौजूद थे। कट्टरपंथी लड़ाकों की उपस्थिति में एक अस्थिर युद्ध क्षेत्र में पैदा हुए अभूतपूर्व खतरों के बीच इस खतरनाक मिशन में उड़ान भरते हुए उन्होंने असाधारण पेशेवर साहस, धैर्य और नेतृत्व का प्रदर्शन किया।

उथल पुथल भरी जमीनी स्थिति के दौरान हवाई अड्डे के आसपास छिटपुट गोलीबारी और संभावित खतरे के बीच उन्होंने काबुल में सुरक्षित रूप से उतरने के लिए नाइट विजन गॉगल्स (एनवीजी) का प्रभावी ढंग से उपयोग किया। उन्होंने इस परिस्थिति में तीव्र जागरुकता, गतिशील निर्णय क्षमता दिखाई और एक घंटे से अधिक समय तक विमान की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्पेशल फोर्सेज़ की अपनी टीम को नियंत्रित किया। उन्होंने अंधेरी रात में कुशलता पूर्ण सामरिक प्रस्थान की योजना बनाई और 87 भारतीयों को सुरक्षित रूप से दुशांबे पहुंचाया।

सार्जेंट परमेंदर सिंह परमार

फ्लाइट गनर एक एमआई-17 वी5 हेलीकॉप्टर यूनिट में तैनात सार्जेंट परमेंदर सिंह परमार 13 सितंबर, 2021 को जामनगर के जिला प्रशासन से गुजरात में कलावाड़ के समीप बंगा गांव से छह नागरिकों को बचाने के संबंध में एक संदेश प्राप्त हुआ था। बचाव अभियान के तहत एक इमारत से उन छह लोगों को जीवित बचा लिया गया जो नदी के भारी बहाव में डूबने के कगार पर थे। गांव पहुंचने पर चालक दल ने उफनती नदी के बीच एक जर्जर घर को देखा। उन्होंने जल्द ही स्थिति की गंभीरता को भांप लिया क्योंकि भारी बारिश हो रही थी और नदी का प्रवाह तेजी से बढ़ रहा था।

सार्जेंट परमार और एक अतिरिक्त फ्लाइट गनर ने इमारत की छत पर विंच क्रेडल को नीचे करके नागरिकों को बचाने की कोशिश की लेकिन उसे पकड़ने के लिए कोई भी नहीं आया। आसपास की इमारतों के ऊपर अन्य नागरिकों को जर्जर इमारत की ओर इशारा करते हुए देखकर उन्होंने अनुमान लगाया कि फंसे हुए नागरिक छत पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। चालक दल ने सामने के मुख्य दरवाजे से नागरिकों को बचाने के दो असफल प्रयास किए, लेकिन नदी के भारी बहाव और भय के कारण नागरिक विंच क्रेडल पर नहीं चढ़ सके।

ऑपरेशन के दौरान बारिश की तीव्रता के साथ-साथ नदी का बहाव भी बढ़ गया था। सार्जेंट परमार ने आकलन किया कि यदि समय पर कार्रवाई नहीं की गई तो जर्जर इमारत में फंसे लोग जल्द ही बह जाएंगे। खुद के बह जाने के खतरे के बावजूद उन्होंने अपनी सुरक्षा की परवाह किए बिना स्वेच्छा से इमारत के दरवाजे पर तेजी से उतर गए। नीचे पहुंचने पर उन्होंने छत की सीढ़ी और एक दीवार के बह जाने के साथ ही नदी के कहर को महसूस किया। उन्होंने लोगों को जल्द निकालने के लिए तत्काल एक योजना बनाई और छह नागरिकों में से दो को एक साथ विंच क्रेडल पर चढ़ने में मदद की। अंतत: सभी को बचा लिया गया और सबसे आखिर में वह उस जर्जर इमारत से निकल आए।

सार्जेंट श्याम वीर सिंह

भारतीय वायु सेना (गरुड़) के सार्जेंट श्याम वीर सिंह एक ऑपरेशन के दौरान गरुड़ टीम के स्काउट के तौर पर अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए 96 घंटे के एक मिशन पर थे। इस मिशन को 13 हजार फीट की ऊंचाई पर अंजाम दिया जा रहा था। इस ऑपरेशन को पुलवामा के त्राल जिले के धाचीगाम रिजर्व फॉरेस्ट में चलाया गया था। 21 अगस्त 2021 को लगभग प्रातः 0630 बजे गरुड़ दल अपने लक्ष्य वाले इलाके की ओर बढ़ रहा था। इसी दौरान अचानक एक आतंकवादी ने बाहर आकर सुरक्षा बलों पर भारी गोलीबारी शुरू कर दी। ऐसे में सार्जेंट श्याम वीर ने जबरदस्त धैर्य और साहस का परिचय देते हुए इस भारी गोलाबारी के खिलाफ जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी। इन शत्रुतापूर्ण परिस्थितियों से विचलित हुए बिना सार्जेंट श्याम वीर ने असाधारण साहस का परिचय देते हुए दस मीटर की दूरी से आतंकवादी पर धावा बोलकर उसे मार गिराया। बाद में इस आतंकवादी की पहचान जैश-ए-मोहम्मद के श्रेणी ए आतंकवादी के रूप में हुई।

स्क्वाड्रन लीडर दिलीप गुरनानी

गरुड़ उड़ान के कमांडिंग ऑफिसर स्क्वाड्रन लीडर दिलीप गुरनानी को राष्ट्रीय राइफल्स की एक बटालियन के साथ ऑपरेशन रक्षक में तैनाती के दौरान गरुड़ डिटैचमेंट कमांडर की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। 13 अक्टूबर 2021 को ऑपरेशन वागड के दौरान आतंकवादियों की उपस्थिति के संबंध में एक विशिष्ट खुफिया इनपुट के आधार पर विशिष्ट तलाशी अभियान की योजना बनाई गई। जिला पुलवामा के त्राल शहर में सामान्य क्षेत्र वागड़ में घने बिल्ड-अप क्षेत्र में तलाशी अभियान शुरू किया गया था। स्क्वाड्रन लीडर दिलीप गुरनानी ने उत्तरी दिशा से गरुड़ दस्ते का नेतृत्व किया और 1120 घंटे तक लक्ष्य क्षेत्र को घेर लिया। घेराबंदी के अंदर कुल 19 घर ले लिए गए।

घरों की व्यवस्थित तलाशी के दौरान लगभग 14.10 बजे जब एक गरुड़ खोज दल लक्षित घर के पास पहुंच रहा था, तभी आतंकवादियों की ओर से जबरदस्त फायरिंग होने लगी। स्क्वाड्रन लीडर दिलीप गुरनानी ने अपनी टीम के साथ तुरंत पिन प्वाइंट, प्रभावी और भारी मात्रा में गोलाबारी से जवाबी कार्रवाई की। लगभग 15.20 बजे एक आतंकवादी ने गरुड़ दल पर ग्रेनेड फेंका और भागने के प्रयास में अंधाधुंध फायरिंग करते हुए घर से बाहर निकल आया। इस पर स्क्वाड्रन लीडर दिलीप गुरनानी ने असाधारण साहस और अद्वितीय निस्वार्थता का प्रदर्शन करते हुए पांच मीटर की दूरी से आतंकवादी को मार गिराया। बाद में आतंकवादी की पहचान जैश-ए-मोहम्मद तंज़ीम के श्रेणी ए आतंकवादी के रूप में की गई।

विंग कमांडर दीपिका मिश्रा

फ्लाइंग (पायलट) विंग कमांडर दीपिका मिश्रा हेलीकॉप्टर यूनिट में तैनात हैं। वह एक योग्य फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर, इंस्ट्रूमेंट रेटेड इंस्ट्रक्टर और एक्जामिनर हैं। उन्हें 02 अगस्त 21 को उत्तरी मध्य प्रदेश में अचानक आई बाढ़ के बाद मानवीय सहायता और आपदा राहत अभियान चलाने के लिए भेजा गया था। खराब मौसम, तेज हवाओं और सूर्यास्त के करीब आने की बाधाओं के बावजूद विंग कमांडर दीपिका ने चुनौतीपूर्ण कार्य किया। उनके प्रारंभिक हवाई टोही और इनपुट भारतीय वायुसेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य नागरिक अधिकारियों के लिए पूरे बचाव अभियान की योजना बनाने में महत्वपूर्ण साबित हुए।

विंग कमांडर दीपिका मिश्रा शुरुआती रेकी के बाद सड़कों, खेतों और मैदानों से फंसे लोगों को उठाकर बाढ़ के पानी से दूर सुरक्षित स्थानों पर ले गई। इस दौरान उन्हें चार ग्रामीणों को एक छत से बाहर निकालना पड़ा। सीमित दृश्य संकेतों और बहते पानी के कारण स्थानिक भटकाव के उच्च जोखिम के बावजूद वह उनकी जान बचाने में सफल रही। लो होवर पिकअप और विंचिंग सहित बचाव अभियान पूरे आठ दिनों तक चला और उसने महिलाओं और बच्चों सहित 47 लोगों की जान बचाई। उनके बहादुरी और साहस के प्रयासों ने न केवल प्राकृतिक आपदा में बहुमूल्य जीवन बचाया बल्कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में आम जनता के बीच सुरक्षा की भावना भी पैदा की।

Zee NewsTimes

Founded in 2018, Zee News Times has quickly emerged as a leading news source based in Lucknow, Uttar Pradesh. Our mission is to inspire, educate, and outfit our readers for a lifetime of adventure and stewardship, reflecting our commitment to providing comprehensive and reliable news coverage.

संबंधित समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button