– लैंडस्लाइड इंफोर्मेशन डेटाबेस के तहत चारधाम यात्रा मार्ग का बनेगा एटलस
– प्रदेशभर में जिलावार भूस्खलनों की संवेदनशीलता की मैपिंग की तैयारी
देहरादून: उत्तराखंड शासन की मुख्य सचिव ने राज्य में भूस्खलन की सूचनाओं के डेटाबेस, भूस्खलन के खतरों व जोखिमों के आकलन, भूस्खलनों के स्थलीय परीक्षण को प्रभावी बनाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही प्रदेश में भूस्खलनों के न्यूनीकरण के लिए किए जा रहे कार्यों की निरंतर मॉनिटरिंग के भी निर्देश दिए हैं।
सचिवालय में बुधवार को यूएलएमएमसी (उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र) की दूसरी कार्यकारी समिति की बैठक हुई। बैठक मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने भूस्खलनों की मॉनिटरिंग व अर्ली वार्निंग सिस्टम को प्रभावी बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य में भूस्खलनों के जोखिम से बचाव के लिए जागरुकता एवं पूर्व तैयारियों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने लैंडस्लाइड इंफोर्मेशन डेटाबेस के तहत चारधाम यात्रा मार्ग का एटलस तैयार करने, जिलावार लैंडस्लाइड इन्वेंटरी तैयार करने तथा जिलावार भूस्खलनों की संवेदनशीलता की मैपिंग करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने अल्मोड़ा, गोपेश्वर, मसूरी, नैनीताल उत्तरकाशी में किए जा रहे भूस्खलन के खतरों व जोखिमों के आकलन की रिपोर्ट भी तलब की है।
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बैठक में बताया गया कि यूएलएमएमसी की ओर से गत एक वर्ष में 60 स्थलों का भूस्खलन स्थलीय परीक्षण किया जा चुका है। जोशीमठ, हल्दपानी (गोपेश्वर), इल धारा (धारचूला), बलियानाला (नैनीताल) व ग्लोगी (मसूरी) में भूस्खलन न्यूनीकरण व अनुश्रवण के प्रोजेक्ट संचालित किए जा रहे हैं। नैनीताल के नैना चोटी, हरिद्वार के मनसा देवी व कर्णप्रयाग के बहुगुणानगर में लैंडस्लाइड मिटिगेशन व मॉनिटरिंग के प्रोजेक्ट शुरू करने की तैयारी है। एसडीएमएफ के तहत 226 डीपीआर का मूल्यांकन किया जा चुका है। बैठक में प्रमुख सचिव रमेश कुमार सुधांशु, सचिव विनोद कुमार सुमन, अपर सचिव डा. अहमद इकबाल, विनीत कुमार आदि मौजूद थे।