भक्तों को बताया गया भागवत रहस्यमयी ग्रंथ: आचार्य महावीर शर्मा
ख्वाजा एक्सप्रेस संवाददाता
बरेली। माधव वाडी के रामायण मंदिर पर चल रही भागवत कथा में आचार्य महावीर शर्मा ने आज तृतीय दिवस पर भक्तों को बताया भागवत रहस्यमयी ग्रंथ है, समस्त विकारों को समाप्त करने वाला है।भक्त का भागवत कथा में मन लग जाए और मन में कथा बैठ ज़ाय तो शरणागति होने की जिम्मेदारी भगवान की है। भगवान की कृपा से ही शरणागति होती है ,शरणागति की अपनी एक सुगंध है। सुगंध भक्त के विचारों से आने लगती है विचारों में बदलाव, भावों में बदलाव, भगवान के प्रति तन्मयता बढ़ने लगती है शरणागति के बाद ठहराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और यही स्थिरता की स्थिति भगवान से जोड़ती है।
कपिल मुनि ने अपनी मां देवाहुति को समझाया कि मन ही बंधन का कारण है। गुरु की शरणागति से जीव के सारे दुख, कष्ट समाप्त हो जाते हैं। भाग्य जागृत हो जाता है । भक्तों को भगवान के प्रति अखंड विश्वास होना चाहिए जैसे द्रौपदी को भगवान पर विश्वास था। भगवान के बारे में सुनते-सुनते ही भगवान से प्रेम हो जाता है ।भगवान से प्रेम भाव, सखा भाव, दास भाव, स्वामी भाव, किसी भी रूप में भगवान से प्रेम करें।
कथा मे भगवान के 24 अवतारों का वर्णन को सुनाया । सूत जी ने सनकादिक ऋषियों को सुनाया कि भागवत कथा जीव का भय, शोक, दुख को नष्ट कर देने वाली है, कृष्ण के प्रति प्रेम उत्पन्न करती है।
भागवत कथा में आचार्य ने पांडवों का कथा प्रसंग रोचक ढंग से समझाया। आचार्य जी ने बताया कलयुग पांच स्थानों पर रहता है उनमें स्वर्ण एक है।