करोड़ों की लागत से बने आधुनिक बस स्टेशन कसया पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव
आर के भट्ट
कुशीनगर
बुद्ध की नगरी और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल कुशीनगर के कसया बस स्टेशन को वर्तमान सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च करके अत्याधुनिक रूप देने का प्रयास किया और उसका सुंदरीकरण करवाया।परंतु इतने खर्च के बाद भी बस स्टेशन अपनी मूलभूत सुविधाओं से महरूम हैं। बस स्टेशन के अंदर एकमात्र कैंटीन है जिसका मूल दरवाजा जिधर है वह हमेशा बंद रहता है और पूरब दिशा में किचन के बगल से बाहर स्टाल लगाकर सामानों की बिक्री की जाती है। ग्राहकों को अंदर बैठने के लिए टेबल कुर्सी और एसी तक की सुविधा है लेकिन न ही एसी चल रहा है और ना ही कोई ग्राहक अंदर जा पा रहा है। खाद्य पदार्थों के नाम पर इस उमस भरी गर्मी में भी पहले के बने हुए बसी खाद्य पदार्थों को परोसा जा रहा है। आर ओ वाटर की सुविधा तो जरूर उपलब्ध है परंतु शुद्ध करने वाली मशीन बस स्टेशन के अंदर है और पानी निकलने वाला टैप दुकानदार ने अपने काउंटर के बगल में छुपा रखा है। एक भी पंखे चलते हुए नहीं पाए गए पता चला बिजली नहीं है। पूछताछ काउंटर खुला मिला परंतु वहां लगभग 30 मिनट इंतजार करने के बाद भी कोई उपस्थित नहीं मिला। दिन के तीन बजे मैनेजर कक्ष में ताला लगा हुआ था।
आपात स्थिति से निपटने के लिए लटकी हुई बाल्टिया बिल्कुल खाली थी और आसपास साइकिल खड़ी किए गए थे। बस स्टेशन पर जिम्मेदार अधिकारियों के जो नंबर लिखे हुए मिले उसमें सभी पर प्रयास करने के बावजूद किसी से भी बात नहीं हो पाई। इस प्रकार सरकार के द्वारा यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के आधुनिक बस स्टेशन पर सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास सफल होता नहीं दिख रहा। शौचालय में सभी जो भी टूटी लगे हुए थे वह या तो टूट गए थे अन्यथा चालू हालत में नहीं रहे। इन सभी समस्याओं के प्रति ना ही कोई जवाब देह है, और ना ही कोई जिम्मेदारी उठाने को तैयार है।
लेकिन प्रश्न यह जरूर है कि अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल कुशीनगर का यह आधुनिक बस स्टेशन अपने यात्रियों को मूलभूत सुविधाएं क्यों उपलब्ध नहीं करा पा रह