BJP के पूर्व विधायक को झटका, विधानसभा चुनाव रद करने की याचिका हाईकोर्ट से खारिज
बाराबंकीः जिले के 267-रामनगर विधानसभा से भाजपा के पूर्व विधायक और वर्ष 2022 में भाजपा से विधानसभा के प्रत्याशी रहे शरद कुमार अवस्थी द्वारा 2022 के चुनाव में महज 261 वोटों से जीते सपा के फरीद महफूज किदवई के विरुद्ध दायर की गई है. याचिका को हाईकोर्ट जज राजीव सिंह ने खारिज कर दिया है.शरद कुमार अवस्थी ने चुनाव को रद और शून्य करने की याचना की थी.
बताते चलें कि वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में विधानसभा क्षेत्र 267-रामनगर से भाजपा ने शरद कुमार अवस्थी को फिर से अपना प्रत्याशी बनाया था. शरद अवस्थी इसी विधानसभा से वर्ष 2017 में चुनाव जीते थे. वोटिंग के बाद हुई मतगणना में शरद कुमार अवस्थी को जहां ईवीएम से 98303 मत और पोस्टल बैलेट से 235 यानी कुल 98,538 मत प्राप्त हुए थे तो वहीं समाजवादी पार्टी से उम्मीदवार रहे फरीद महफूज किदवई को 98239 और पोस्टल बैलेट से 560 यानी कुल 98799 मत प्राप्त हुए थे. इस तरह कड़े मुकाबले में भाजपा के शरद अवस्थी महज 261 मतों से चुनाव हार गए थे.
शरद कुमार अवस्थी ने इस मामले में हाईकोर्ट में फरीद महफूज किदवई व 09 अन्य के विरुद्ध पिटीशन फाइल की थी. इसमे उन्होंने चुनाव रद्द करने और उसे शून्य घोषित करने की याचना की थी. साथ ही शरद अवस्थी ने अपने को विजयी घोषित किए जाने की याचना की थी. याची शरद अवस्थी की ओर से आकांक्षा दुबे और मनीष पांडे के साथ बतौर वकील शरद अवस्थी ने खुद मामले की पैरवी की.
मामले की सुनवाई करते हुए जज राजीव सिंह ने 04 अक्टूबर को अपना फैसला सुना दिया. प्रतिवादी फरीद महफूज किदवई के अधिवक्ता ने रिप्रेजेंटेशन ऑफ प्यूपिल ऐक्ट 1951 सपठित कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 की धारा 67 का हवाला देते हुए तर्क दिया कि हर चुनाव में जहां कही मतदान होता है, वहां वोटों की गिनती रिटर्निंग ऑफिसर की देखरेख और निर्देशन में की जाएगी. उस समय चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों या उनके चुनाव एजेंटों को गिनती के समय उपस्थित रहने का अधिकार होगा.
प्रतिवादी यानी फरीद महफूज किदवई के अधिवक्ता द्वारा यह भी तर्क दिया गया कि रूल 1916 के रुल 63(6) और काउंटिंग एजेंट को उपलब्ध कराई गई हैंडबुक के पैरा 16.6 में ये प्रावधान है कि रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा रिजल्ट शीट पूरी कर लेने और उस पर साइन कर देने के बाद उम्मीदवार या उसका चुनाव एजेंट या उसके कोई भी चुनाव एजेंट द्वारा वोटों की पुनर्गणना कराने की मांग करने का कोई अधिकार नही है. अगर ऐसी मांग की जाती है तो उसे खारिज कर दिया जाएगा.
इस मामले में जब रिजल्ट रात 9.41 बजे घोषित कर दिया गया तब याची यानी शरद अवस्थी ने 10.35 बजे जिला निर्वाचन अधिकारी को वोटर्स की संतुष्टि और खुद की संतुष्टि के लिए रिकाउंटिंग कराने का प्रार्थना पत्र दिया गया. मामले की सुनवाई करते हुए जज ने अपना फैसला सुना दिया. जज ने फैसले में लिखा कि प्रत्याशी ने प्रावधानों के मुताबिक अपने पोलिंग एजेंट्स नियुक्त कर रखे थे लेकिन किसी भी एजेंट ने कानून के मुताबिक रिकाउंटिंग के लिए अनुरोध नही किया.
परिणाम घोषित हो जाने के बाद याची ने जिला निर्वाचन अधिकारी बाराबंकी के समक्ष एक आवेदन देकर अनुरोध किया कि सम्बंधित क्षेत्र के नागरिकों की संतुष्टि और खुद की संतुष्टि के लिए वह वोटों की रिकाउंटिंग के लिए इंटरेस्टेड हैं. चूंकि निर्धारित फीस के बाद दस्तावेजों के निरीक्षण का प्रावधान है लेकिन याची ने फार्म 17 (सी) के सम्बंध में कभी कोई निरीक्षण नही किया.
ऐसी स्थिति में यह स्पष्ट है कि चुनाव वैधानिक प्रावधानों और नियमों के अनुसार आयोजित किया गया था. साथ ही याचिकाकर्ता के पोलिंग एजेंट को उचित चरण में पर्याप्त अवसर उपलब्ध था लेकिन उस समय उन्होंने अवसर का लाभ नही उठाया लेकिन चुनाव हारने के बाद उन्होंने पिटीशन फाइल की इसलिये पिटीशन खारिज की जाती है. रामनगर विधानसभा से सपा विधायक फरीद महफूज किदवई ने बताया कि रिट खारिज हो गई है.