उत्तर प्रदेशरायबरेली

वन महोत्सव : 84 लाख 27 हजार पौधों के रोपने की है तैयारी, सुरक्षा की नहीं लेता कोई जिम्मेदारी

रायबरेली। गुजरे वर्षों की तरह इस बार भी पर्यावरण दिवस पर जिले में लाखों पौधे रोपित किए जाएंगे लेकिन कितने सुरक्षित रहेंगे यह कहना मुश्किल है। जिले में इस बार 58 लाख 58 हजार 600 पौधे विभागों द्वारा रोपित  होंगे। वहीं 84 लाख 27 हजार पौधों को नर्सरियों में तैयार किया जा रहा है। वन विभाग अकेले 22 लाख 45 हजार पौधों का रोपण करेगा।

जिले में पौधारोपण की तैयारी जोर शोर से चल रही है। डीएम माला श्रीवास्तव इसके लिए कई बैठक कर चुकी हैं। वन विभाग पौधारोपण के लिए 200 स्थल का चयन कर गड्ढा खोदने का काम कर रहा है। साथ ही मृदा का परीक्षण भी चल रहा है। वन विभाग इस बार 22 लाख 45 हजार 300 पौधों में 20 प्रतिशत फलदार पौधे रोपित कराएगा। पौधों के लिए ग्राफ्टेड प्रजाति के पौधै इंदिरा उद्यान और सदर नर्सरी में तैयार किए जा रहे हैं। 5 हजार ग्राफ्टेड पौधे तैयार हो रहे हैं। प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी आशुतोष जायसवाल ने बताया कि पौधारोपण की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। वन विभाग की 28 नर्सरियों में 84 लाख 27 हजार पौधे तैयार किए जा चुके हैं। वन विभाग के साथ अन्य विभाग 22 लाख 45 हजार पौधों का रोपण करेंगे।

लखनऊ से होगी मॉनिटरिंग

जिले में होने वाले पौधारोपण अभियान की मॉनिटरिंग लखनऊ से होगी। इसके लिए आईटी सेल का गठन किया गया है। ग्राम पंचायतों में लगने वाले पौधों के आवंटन के लिए नर्सरियों को चिन्हित कर लिया गया है। ग्राम प्रधानों को भी जिम्मेदारी दी गई है। पौधारोपण के लिए कितना बजट आवंटित हुआ है इस पर कोई भी सही जानकारी देने को तैयार नहीं है। सूत्रों की मानें तो छोटे पौधों की कीमत पांच रुपये है तो फलदार पौधों की कीमत तीस से चालीस रुपये है। ऐसे में करोड़ों रुपये के पौधे रोपित होंगे।

तीन साल में रोपे गए 1.50 करोड़ पौधे, 80 फीसदी सूखे

पर्यावरण को हरा भरा बनाने के लिए हर साल पौधरोपण किया जाता हैं, लेकिन इनकी सुरक्षा के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है। वन विभाग समेत अन्य विभागों ने मिलकर तीन सालों में एक करोड़ 50 लाख से अधिक पौधे रोपित किए, लेकिन सुरक्षा के इंतजाम और देखभाल नहीं होने से 80 फीसदी से ज्यादा पौधे सूख गए। ट्रीगार्ड और सुरक्षा के लिए की गई बैरीकेडिंग गायब हो गई।

हर साल विश्व पर्यावरण दिवस पांच जून से पौधरोपण का सिलसिला शुरू हो जाता है, जो पूरे साल चलता है। अफसर हो या फिर जनप्रतिनिधि पौधरोपण के साथ फोटो खिंचवाने तक सीमित रहते हैं। उसके बाद पौधों की क्या दशा होती है, कोई देखने तक नहीं जाता है। वर्ष 2020-21 में 40 लाख, वर्ष 2021-22 में 45 लाख, वर्ष 2022-23 में 60 लाख पौधे रोपित करने का लक्ष्य दिया गया। वन विभाग समेत अन्य विभागों ने लक्ष्य से ज्यादा करीब डेढ़ करोड़ पौधे रोपित किए, लेकिन उनके लगाए कितने पौधे बचे हैं, किसी को जानकारी नहीं है।

अन्य विभागों की तरह वन विभाग ने पौधों की सुरक्षा में खूब मनमानी की। पिछले तीन सालों में वन विभाग ने केवल 54 लाख पौधे रोपित किए। हर साल पौधरोपण के लिए वन विभाग को सबसे ज्यादा लक्ष्य दिया जाता है। लक्ष्य के सापेक्ष वन विभाग भी ज्यादा पौधे लगाता है। पूरे साल पौधों की सुरक्षा करता है। इसके बावजूद पौधे सूख जाते हैं। ऊंचाहार, सरेनी, दीनशाह गौरा, डलमऊ, डीह, सलोन, छतोह, रोहनिया, सलोन, खीरों में क्षेत्र में रोपित किए गए पौधे सूख गए हैं।

वन विभाग में अफसर से लेकर कर्मचारी तक आकड़े छिपाने में घालमेल करते हैं। पौधरोपण के बाद उनकी सुरक्षा के लिए वॉचर रखे जाते हैं। यह वाचर पौधों की सुरक्षा के बजाय पेड़ कटान पर नजर गड़ाए रहते हैं। कुछ वाचर तो अधिकारियों के यहां माली का काम कर रहे हैं तो तो कुछ साफ-सफाई। पौधों की सुरक्षा के लिए कितने वॉचर रखे गए। पौधरोपण पर कितना बजट खर्च हुआ। इसकी जानकारी तक विभागीय लोगों को नहीं है।

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