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उत्तराखंड : अनुभव और युवा जोश से भरा धामी कैबिनेट

देहरादून। उत्तराखंड के 12वें मुख्यमंत्री के तौर पर पुष्कर सिंह धामी ने शपथ ले ली है। उनके साथ आठ मंत्रियों ने भी शपथ ली है। धामी कैबिनेट में जहां सतपाल महाराज, सुबोध उनियाल जैसे अनुभवी मंत्री फिर से शामिल किये गए हैं, वहीं सौरभ बहुगुणा जैसे युवाओं को भी कैबिनेट में स्थान मिला है। धामी कैबिनेट में अभी आठ मंत्रियों ने शपथ ली है। इनमें पांच मंत्री पहले भी धामी कैबिनेट में शामिल थे। इस बार के कैबिनेट में तीन नए चेहरे को शामिल किया गया है। इसमें पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, बागेश्वर से विधायक चंदन राम दास और सितारगंज से विधायक बने सौरभ बहुगुणा हैं।

सतपाल महाराज

उत्तराखंड की राजनीति में सतपाल महाराज चर्चित नाम हैं। इन्होंने अपना राजनीतिक सफर कांग्रेस से शुरू किया था। सतपाल महाराज ने 1989 में कांग्रेस का दामन थामा था। 1996 में वह पौड़ी संसदीय सीट से पहली बार लोकसभा सांसद बने। संयुक्त मोर्चा सरकार में वे रेल और वित्त राज्य मंत्री रहे। 1998, 1999 और 2004 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन 2009 का लोकसभा चुनाव वे जीते थे, लेकिन मंत्री नहीं बनाये गए।

सतपाल महाराज हमेशा से प्रदेश के संभावित मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। कांग्रेस में रहते हुए कई बार उनका नाम मुख्यमंत्री के रूप में सामने आते रहा है। 2014 में जब उत्तराखंड में कांग्रेस ने फेरबदल किया। तब भी उनका नाम मुख्यमंत्री के तौर पर सामने आया था, लेकिन तब बाजी हरीश रावत के हाथ लगी थी। ऐसे में सतपाल महाराज ने नाराज होकर कांग्रेस को छोड़ दिया और भाजपा में शामिल हो गए थे।

इसके बाद सतपाल महाराज ने 2017 में भाजपा के टिकट पर चौबट्टाखाल से चुनाव लड़ा और जीता था। तब भाजपा की प्रदेश में सरकार बनने पर उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। इस बार फिर वे चौबट्टाखाल से ही चुनाव लड़े और जीते। इस बार उन्होंने कांग्रेस के केसर सिंह को 11 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है।

धनसिंह रावत

पौड़ी जिले की श्रीनगर सीट से पूर्व कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत लगातार दूसरी बार चुनाव जीते हैं। पिछले चुनाव में भी उन्होंने कांग्रेस के गणेश गोदियाल को हराया था। इस बार गोदियाल ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए चुनाव लड़ा और धन सिंह रावत को कड़ी टक्कर दी, लेकिन आखिरकार जीत धन सिंह रावत की ही हुई। उन्होंने गणेश गोदियाल को करीब 600 वोटों से हराया। धन सिंह रावत का राजनीतिक सफर भाजपा की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से शुरू हुआ था। वे एबीवीपी में प्रदेश मंत्री और प्रदेश संगठन मंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा वे भाजपा में संगठन मंत्री और उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं।

धन सिंह रावत राम जन्मभूमि आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं। उत्तराखंड राज्य के लिए चले आंदोलन में भी उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई। राज्य आंदोलन के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। 2017 में पहली बार श्रीनगर से विधायक बने और भाजपा सरकार में पहले उच्च शिक्षा राज्यमंत्री और बाद में कैबिनेट मंत्री बनाए गए। इस बार फिर उन्होंने मंत्री पद की शपथ ली है।

सुबोध उनियाल

सुबोध उनियाल का जन्म 26 जुलाई 1960 को टिहरी के नरेंद्रनगर में हुआ था। यहीं से वे विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कांग्रेस से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था। उनियाल 1978 में ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे। वे 1984 से 1989 तक युवा लोकदल उत्तर प्रदेश के महामंत्री भी रहे। 1989 में यूथ कांग्रेस में उत्तर प्रदेश उपाध्यक्ष बने। 2002 में अलग उत्तराखंड बनने के बाद सुबोध उनियाल को प्रदेश कांग्रेस महासचिव बनाया गया। इसी साल प्रदेश की पहली विधानसभा चुनाव में वे नरेन्द्रनगर से विधायक चुने गए। तब एनडी तिवारी मुख्यमंत्री बने और उनियाल ने सलाहकार के तौर पर काम किया।

इसके अगले चुनाव में उनियाल मात्र 4 वोट से हार गए थे। उन्हें उक्रांद के ओम गोपाल ने हराया था। हालांकि 2012 में कांग्रेस के टिकट पर उन्हें फिर से जीत मिली। 2016 में उत्तराखंड कांग्रेस के बगावत के समय सुबोध उनियाल भी कांग्रेस को छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। 2017 का चुनाव उन्होंने भाजपा के टिकट पर ही यहां से लड़ा और जीत दर्ज की। तब भाजपा ने उन्हें कृषि मंत्री बनाया। इस बार फिर वे अपनी जीत का चौका लगाने में कामयाब रहे हैं। धामी सरकार में पुनः मंत्री पद की शपथ ली है।

गणेश जोशी

गणेश जोशी एक पूर्व सैनिक से कैबिनेट मंत्री तक पहुंचे हैं। इनके पिता भी फौज में सैनिक थे। अपने पिता की तरह इन्होंने भी एक सैनिक के रूप में में काम किया। गणेश जोशी ने गढ़वाल रायफल्स रेजिमेंट में बतौर जवान काम किया है। 1983 में अस्वस्था के कारण इन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृति ली। इसके अगले साल वे भाजपा में शामिल होकर राजनीति में सक्रिय हो गए।

गणेश जोशी 2007 में पहली बार राजपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने। इसके बाद 2012 में मसूरी सीट से चुनाव लड़ा और जीतते रहे हैं। इस बार उन्होंने मसूरी सीट से जीत की हैट्रिक लगाई है। पिछली धामी सरकार में गणेश जोशी के पास सैनिक कल्याण, खादी और ग्रामीण उद्योग जैसे मंत्रालय थे। इस बार फिर धामी सरकार में उन्हें मंत्री पद से नवाजा गया है।

रेखा आर्य

रेखा आर्य ने अपना राजनीतिक सफर जिला स्तर से शुरू किया था। अल्मोड़ा में उन्होंने जिला पंचायत का चुनाव लड़ा और जीता। जिला अध्यक्ष बनने के बाद रेखा आर्य ने आम लोगों से संपर्क बनाया। जिले की राजनीति के बाद उन्होंने प्रदेश की राजनीति में कदम रखा, लेकिन पहले ही चुनाव में उन्हें हार मिली। 2012 के चुनाव में रेखा आर्य कांग्रेस से टिकट मांग रही थीं लेकिन पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो वे सोमेश्वर से निर्दलीय चुनाव लड़ गईं। उस चुनाव में इन्हें हार का सामना करना पड़ा।

हार के बाद भी रेखा आर्य क्षेत्र में जुटी रहीं। 2014 में सोमेश्वर सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने रेखा आर्य को यहां से टिकट दिया और वे पहली बार विधानसभा पहुंची। 2016 में कांग्रेस के बगावत में रेखा आर्य भी शामिल थीं। कांग्रेस के अन्य बागी विधायकों के साथ रेखा आर्य भी भाजपा में शामिल हो गईं।

2017 का चुनाव उन्होंने भाजपा के टिकट पर ही सोमेश्वर से लड़ा और दोबारा विधायक बनी। यही नहीं प्रदेश भाजपा सरकार की कैबिनेट में महिला मंत्री के रूप में उन्हें स्थान भी मिला। उन्हें महिला एवं बाल विकास मंत्री बनाया गया था। इस बार फिर रेखा आर्य को धामी कैबिनेट में स्थान दिया गया है।

प्रेमचंद अग्रवाल

पिछली विधानसभा के अध्यक्ष रहे प्रेमचंद्र अग्रवाल देहरादून की ऋषिकेश विधानसभा सीट से विधायक चुने गए हैं। अग्रवाल ने 2007 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और उन्हें जीत हासिल हुई। तब से वे लगातार इस सीट से चुनाव जीतते रहे हैं। इस बार उन्होंने जीत का चौका लगाया है। जीत की हैट्रिक लगाने पर उन्हें विधानसभा अध्यक्ष का दायित्व मिला था। अब जीत का चौका मारने पर मंत्री पद मिला है। अग्रवाल अपनी जीत का अंतर पिछले चुनाव से लगातार बढ़ाने वाले नेताओं में सुमार हैं।

चंदन राम दास

धामी कैबिनेट में नये चेहरे के रूप में चंदन राम दास शामिल हुए हैं। चंदन राम दास लगातार चौथी बार बागेश्वर विधानसभा सीट से चुनाव जीते हैं। इस सीट से वे हर बार भारी मतों से चुनाव जीतते रहे हैं। पिछले तीन बार की विधायकी काल में भाजपा सरकार के दौरान उन्हें मंत्री बनने की संभावना जताई जा रही थी। इस बार उन्हें मंत्री पद मिला है। वे भाजपा के दलित चेहरे हैं। भाजपा सरकार में पिछली बार दो दलित नेताओं को स्थान मिला था। महिला के नाते रेखा आर्य ने बाजी मारी थी, तो यशपाल आर्य प्रदेश के बड़े दलित चेहरा होने के कारण मंत्री बनाये गए थे। ऐसे में चंदन राम दास का नंबर नहीं आ पाया था। इस बार फिर भाजपा ने दो दलित चेहरे को प्रदेश सरकार में शामिल किया है।

सौरभ बहुगुणा

युवा के कोटे से इस बार सौरभ बहुगुणा को धामी कैबिनेट में स्थान मिला है। सौरभ बहुगुणा पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के छोटे पुत्र हैं। सौरभ बहुगुणा ने पहली बार 2017 में विधानसभा चुनाव लड़ा था। वे अपने पिता की विधानसभा सीट सितारगंज से चुनाव लड़ा और बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। इस बार वे उन्होंने सितारगंज सीट से ही चुनाव लड़ा और जीता है। धामी कैबिनेट में सौरभ बहुगुणा दूसरा सबसे युवा मंत्री बने हैं।

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