राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का एक ओर जहां पूरा देश इंतजार कर रहा है, तो वहीं दूसरी ओर इस पर राजनीति भी चरम पर हो रही है। बीते दिन कांग्रेस पार्टी ने इस कार्यक्रम में शामिल न होने की बात कही है, जिसके बाद भाजपा ने हमलावर रुख अपना लिया है।
बता दें कि राम मंदिर समारोह में केवल कांग्रेस ही नहीं, कई और पार्टियों ने भी शामिल होने से मना किया है।
राम मंदिर कार्यक्रम में शामिल नहीं होगी कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और सोनिया गांधी ने बीत दिन राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण को स्वीकार न करते हुए कहा कि ये भाजपा और आरएसएस का इवेंट है। इसको लेकर अब कांग्रेस पार्टी में ही विरोध बढ़ गया है।
कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद ने निमंत्रण को ठुकराने को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और आत्मघाती फैसला बताया है। उन्होंने कहा कि पार्टी के इस फैसले से मेरा दिल टूट गया है। वहीं, गुजरात के कांग्रेस विधायक अर्जुन मोढवाडिया ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की है।
शिवसेना (यूबीटी) भी कर चुकी मना
शिवसेना (यूबीटी) भी राम मंदिर समारोह में शामिल न होने की बात कह चुका है। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि पार्टी का कोई भी नेता इसमें शामिल नहीं होगा। राउत ने कहा कि ये भाजपा का कार्यक्रम है और इसमें हमारा कोई कार्यकर्ता शामिल नहीं होगा।
सीपीएम और ममता की पार्टी ने भी किया किनारा
सीपीएम ने भी राम मंदिर कार्यक्रम से किनारा किया है। सीपीएम नेता वृंदा करात और सीताराम येचुरी ने इसे एक धर्म को बढ़ावा देने का कार्यक्रम बताया है। वहीं, ममता बनर्जी का इस समारोह में शामिल होना भी मुश्किल लग रहा है। इसको लेकर वो अपनी पार्टी के नेताओं को संकेत भी दे चुकी हैं।
अखिलेश ने दिया ये बयान
अखिलेश भी इस कार्यक्रम में शामिल होते नहीं दिख रहे हैं। दरअसल, विश्व हिंदू परिषद की तरफ से आलोक कुमार अखिलेश को निमंत्रण देने गए थे, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया और कहा कि हम जिसे जानते नहीं उससे निमंत्रण नहीं लेते।
हालांकि, अखिलेश ने आगे कहा कि हमारे आराध्य प्रभु श्रीराम आ रहे हैं और जब वो बुलाएंगे हम जाएंगे।