उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में बच्चे और बुजुर्ग सेप्टिसीमिया (छाती में संक्रमण) का शिकार हो रहे हैं। संक्रमित बच्चों और बुजुर्गों की मौत भी हो रही है। बुधवार को डेढ़ माह की बच्ची की मौत हो गई। जिला अस्पताल में एक सप्ताह में 300 से अधिक बच्चे और बुजुर्ग सेप्टीसीमिया के उपचार के लिए पहुंचे जिनमें से 11 की मौत हो गई। वहीं 10 अन्य गंभीर हालत में रेफर किया गया है। पिछले 48 घंटे में एक बच्चे और दो बुजुर्ग की मौत हुई है। जबकि चार को रेफर किया गया है।
शहर कोतवाली के मोहल्ला राजीव गांधी नगर निवासी नीरज कुमार की डेढ़ माह की पुत्री नीलिमा को पिछले कुछ दिनों से सेप्टिसीमिया की दिक्कत थी परिजन उसका एक निजी डॉक्टर के यहां उपचार करा रहे थे। हालत बिगड़ने पर बुधवार की सुबह परिजन उसे लेकर आगरा जा रहे थे रास्ते में उसकी मौत हो गई।
शहर के मोहल्ला खरगजीत नगर निवासी देवकीनंदन 80 साल को पिछले कुछ दिनों से सेप्टिसीमिया की दिक्कत थी। परिजन उनका आगरा के एक निजी अस्पताल में उपचार करा रहे थे। मंगलवार की रात उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई।
शहर की बौद्ध बिहार कॉलोनी निवासी 75 वर्षीय राममोहन को पिछले कुछ दिनों से सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। परिजन उनका एक निजी डॉक्टर के यहां उपचार करा रहे थे। बुधवार की सुबह उनकी मौत हो गई।
जिला अस्पताल में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. डीके शाक्य का कहना था कि पिछले कुछ दिनों से बच्चों में छाती के संक्रमण की दिक्कत बढ़ी है। उनका कहना था कि अभिभावकों को इसके प्रति ध्यान रखना होगा।
जिला अस्पताल में तैनात चेस्ट फिजीशियन डॉ. धर्मेंद्र कुमार का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से मौसम में परिवर्तन के कारण बुजुर्ग सेप्टससीमिया की चपेट में आ रहे हैं ऐसे में उनकी विशेष देखभाल की जरूरत है।
यह है सेप्टिसीमिया
बालरोग विशेषज्ञ डॉ. डीके शाक्य बताते हैं कि सेप्टिसीमिया एक गंभीर ब्लड संक्रमण है। इसे वैक्टीरिया या ब्लड प्वाइजनिंग भी कहा जाता है। यह जीवन के लिए खतरा भी हो सकता है क्यों कि इससे पूरे शरीर में वैक्टीरिया फैल जाते हैं।
ये हैं लक्षण
- तेज बुखार
- ठंड लगना
- कमजोरी
- अत्यधिक पसीना आना
- ब्लड प्रेशर कम होना
- मतली और उलटी आना
- यूरिन कम आना
- शरीर में खून कम बनना
कारण
- यूरिनी ट्रेक इंफेक्शन
- फेंफड़ों में संक्रमण
- किडनी इंफेक्शन
- पेट में इंफेक्शन होना
- गर्भ के दौरान नियमित जांच न कराना
बचाव के तरीके
- गर्भ के दौरान महिला अपनी नियमित जांच कराएं
- समय-समय पर यूरिन टेस्ट कराएं
- रक्त की जांच कराएं
- सांस लेने में दिक्कत होने पर जांच कराएं
- पौष्टिक अहार का सेवन कराएं
- हाथों की सफाई पर विशेष ध्यान दें