नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर दिल्ली विश्वविद्यालय में करीब एक हजार लोगों ने कुलपति प्रो. योगेश सिंह और स्थानीय सांसद मनोज तिवारी के साथ सामूहिक योगाभ्यास किया। कार्यक्रम का आयोजन डीयू के खेल स्टेडियम परिसर के मल्टीपर्पज हॉल में किया गया था। इस अवसर पर सांसद तिवारी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से योग को दुनिया में पहचान मिली है। आज विश्व के 172 देशों ने योग के माध्यम से भारतीय संस्कृति को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए हर साल 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ मनाने का निर्णय लिया था।
उन्होंने कहा कि 100 साल जीने के लिए विशेष खानपान और जीवन शैली की जरूरत होती है। हमने एक कदम आगे बढ़ते हुए मोटे अनाज को खान-पान में शामिल करने को बढ़ावा दिया और दुनिया ने मोटे अनाज का अंतरराष्ट्रीय वर्ष मनाया। हम धन्यवाद देना चाहते हैं प्रधानमंत्री मोदी को कि उन्होंने देश और दुनिया को 100 साल जीने का रास्ता दिखाया।
कुलपति प्रो. सिंह ने योग के महत्व का वर्णन करते हुए कहा कि योग मन को स्थिर और शरीर को गतिमान करता है। दस सालों में योग के प्रति दुनिया में माहौल बदला है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2024 के थीम “स्वयं और समाज के लिए योग” को लेकर कुलपति ने कहा कि यह मन में एक अच्छी भावना लेकर आता है और समझ को विकसित करने का काम करता है।
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कुलपति ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की एकात्मक मानव दर्शन की अवधारणा का जिक्र कर कहा कि शरीर के चार हिस्से हैं- शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा। व्यक्ति के लिए इनका सामंजस्य बहुत आवश्यक है और योग करने से ये सामंजस्य बेहतर होता है। कार्यक्रम में योग गुरु सुरक्षित गोस्वामी ने विभिन्न योग क्रियाओं से उपस्थित लोगों को योगाभ्यास करवाया। उन्होंने कहा कि योग होता है तो रोग नहीं होता और रोग तभी होता है जब जीवन में योग नहीं होता। उन्होंने बताया कि योग के 84 लाख आसन हैं। कार्यक्रम के अंत में वरुण आर्य ने योग के साथ आयुर्वेद की भी जानकारी दी।