-धूमधाम से मनाया गया भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन पर्व
-बहनों ने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर लिया रक्षा का वचन
गुरुग्राम: पिछले 5000 साल से चली आ रही रक्षाबंधन मनाने की परम्परा का इस बार भी घर-परिवारों में, समाज में पूरे उत्साह और प्रेमपूर्वक निर्वहन किया गया। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक की कलाई पर बहनों ने राखियां बांधी। बहनों ने रक्षाबंधन की तैयारियों को लेकर शहर के बाजारों में रविवार-सोमवार की रात करीब 2 बजे तक मेहंंदी लगवाई। रक्षाबंधन पर्व पर भी मेहंदी लगाने वालों की चांदी रही। यहां महिलाओं ने एडवांस में मेहंदी लगवाने की बुकिंग करवा रखी थी। दो से तीन हजार रुपये तक मेहंदी लगाने के लिए गए।
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रक्षाबंधन पर्व को लेकर कई दिन से बाजारों में बहनें खरीदारी कर रही थी। फिर भी रक्षाबंधन की पूर्व संध्या पर और सोमवार को रक्षाबंधन के दिन भी बाजारों में राखी, मिठाइयां खरीदकर महिलाएं राखी बांधने के लिए गईं। हरियाणा रोडवेज की बसें, निजी बसें और निजी वाहनों पर परिवार के लोग राखी का पर्व मनाने गए। अन्य त्योहारों की तरह रक्षाबंधन भी बहुत बड़ा पर्व है और बड़े ही उत्साह के साथ इस पर्व को मनाया जाता है। होली, दीवाली तो लोग घरों पर अधिक रहते हैं, लेकिन रक्षाबंधन पर ज्यादातर लोग सफर में ही रहते हैं। क्योंकि कोई अपनी बहन के घर राखी बंधवाने जाता है तो कोई बहन अपने घर पर राखी बांधने जाती है। रक्षाबंधन का पर्व भारत और नेपाल में ज्यादा लोकप्रिय है। हालांकि अब भारतीयों के विदेशों में बस जाने से यह पर्व वहां भी बड़े पैमाने पर मनाया जाने लगा है। श्रावण मास की पूर्णिमा को यह पर्व मनाया जाता है। कहने को भले ही यह पर्व भाई-बहन के नाम पर हो, लेकिन राखियां तो परिवार में सभी सदस्यों को बांधी जाती हैं। इस तरह से यह त्योहार सामाजिक सद्भाव व भाईचारे का प्रतीक बन गया है। रक्षा व बंधन को जोडक़र रक्षाबंधन शब्द बना है। इस तरह से यह पर्व सुरक्षा का बंधन बन गया है। रक्षाबंधन पर्व पर बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर रक्षा का वचन लेती हैं।