यूरोपीय देश फ्रांस के पर्यटकों से गुलजार हुआ कुशीनगर
गौतम बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर बुधवार को यूरोपीय देश फ़्रांस के पर्यटकों से गुलजार रही। पर्यटकों ने न केवल उत्खनन से प्राप्त धरोहरों को सूक्ष्मता से देखा बल्कि महापरिनिर्वाण मंदिर में बुद्ध की शयन मुद्रा वाली प्रतिमा को देख भावविभोर हो उठे। सैलानियों ने प्रतिमा का दर्शन पूजन कर चीवर अर्पित किया। चलते-चलते सैलानियों ने फ्रांस में बुद्धिज्म को लेकर बातचीत की और फ्रांस में बुद्धिज्म के बढ़ते प्रभाव को भी साझा किया गया।
ग्रुप लीडर गिल्बर्ट बताते हैं कि फ्रांस में बौद्ध अनुयाइयों की संख्या बढ़ रही है। स्थिति यह है कि फ्रांस में बौद्ध ध्यान केंद्रों की संख्या 200 से ज्यादा हो गई। बुद्धिज्म फ्रांस का चौथा बड़ा धर्म बन गया है। फ्रांस में लोग बुद्धिज्म की मूल भावना के अनुरुप कार्य भी कर रहे हैं, जिसके चलते वहां के ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर कई आश्रय केंद्र भी खुल चुके हैं।
दस दिवसीय यात्रा पर आया है दल
फ्रांसीसी दल बौद्ध सर्किट की दस दिवसीय यात्रा पर आया है। 22 अक्तूबर को सारनाथ से शुरु यात्रा के दौरान दल ने बोधगया, राजगिरि, नालंदा, विक्रमशिला विश्वविद्यालय भागलपुर, वैशाली होकर की शाम कुशीनगर पहुंचा था। दल लुम्बिनी (नेपाल) से श्रावस्ती होते हुए दिल्ली से स्वदेश रवाना हो जायेगा।
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तिब्बती बौद्ध रीति रिवाज से की पूजा
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू स्थित बुद्धिस्ट मोनास्ट्री के लामा जंगचुप गियालत्सेन ने महापरिनिर्वाण मंदिर में तिब्बती बौद्ध रीति रिवाज से फ्रांसीसी सैलानियों की पूजा कराई। भिक्षु नन्दका, भिक्षु नन्द रतन, भंते अशोक, भंते उपालि ने पूजन में सहभागिता की। बौद्ध भिक्षु अशोक ने बताया कि 1970 के दशक की शुरुआत से अलग-अलग परंपराओं के बौद्ध शिक्षक फ्रांस गए थे, जिसमें तिब्बत के लोग भी शामिल थे। कुशीनगर आए फ्रांसीसी सैलानी तिब्बत बौद्ध परम्परा से दीक्षित है।