नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि महाराष्ट्र विधान परिषद ने राज्य के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को अभिव्यक्ति दी है। राष्ट्रपति मंगलवार को मुंबई में महाराष्ट्र विधान परिषद के शताब्दी वर्ष समारोह को संबोधित कर रही थीं।
इस अवसर पर राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि अपनी स्थापना के समय से ही महाराष्ट्र विधान परिषद ने महाराष्ट्र के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को अभिव्यक्ति दी है। इसने एक उत्तरदायी उच्च सदन की भूमिका निभाई है। उन्होंने परिषद के सभी वर्तमान और पूर्व सदस्यों के योगदान की सराहना की। उन्होंने दोनों सदनों के उन सदस्यों को बधाई दी, जिन्हें उनके असाधारण योगदान के लिए आज पुरस्कार दिए गए।
राष्ट्रपति ने कहा कि महाराष्ट्र विधान परिषद ने स्वस्थ बहस और संवाद की परंपरा स्थापित करके लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत किया है। साथ ही, परिषद के सदस्यों ने जन कल्याण में उल्लेखनीय योगदान दिया है। इस परिषद के पूर्व अध्यक्ष वी.एस. पेज ने रोजगार गारंटी योजना की परिकल्पना की थी। उस योजना के समान एक प्रणाली को बाद में ‘मनरेगा’ के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर अपनाया गया।
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राष्ट्रपति ने कहा कि संसद में राज्यसभा और विधानसभाओं में विधान परिषदों को, जहां दो सदन हैं, ‘हाउस ऑफ़ एल्डर्स’ कहा जाता है। इन सदनों में न्यूनतम आयु सीमा अधिक होने के साथ-साथ एल्डर्स सदनों में अधिक अनुभवी सदस्यों का प्रतिनिधित्व अक्सर देखा जाता है। ऐसे एल्डर्स ने कई अच्छे उदाहरण पेश किए हैं और संसदीय प्रणाली और विधायिका की कार्य संस्कृति को समृद्ध किया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि महाराष्ट्र विधान परिषद इस परंपरा को और मजबूत करेगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि महाराष्ट्र पूरे देश के सामने सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक प्रगति के उदाहरण पेश करता रहा है। वर्ष 2023-24 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य सकल घरेलू उत्पाद के मामले में महाराष्ट्र देश में पहले स्थान पर है। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए विधानमंडल के सदस्यों, राज्य सरकार और महाराष्ट्र की जनता की सराहना की। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि महाराष्ट्र की विकास यात्रा तेज गति से आगे बढ़ती रहेगी। उन्होंने महाराष्ट्र की जनता के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।