Naval commanders prepared a future plan to increase combat capability
Naval commanders prepared a future plan to increase combat capability

युद्धक क्षमता बढ़ाने के लिहाज से नौसेना कमांडरों ने तैयार की भविष्य की रूपरेखा

– हिंद महासागर क्षेत्र में खुद को मजबूत करने के लिए नौसेना ने किया मंथन – अंतरराष्ट्रीय विकास की पृष्ठभूमि में क्षेत्र की भू-रणनीतिक स्थिति पर चर्चा

नई दिल्ली:  राजधानी में चार दिन चले कमांडरों के सम्मेलन में नौसेना की युद्धक क्षमता बढ़ाने तथा अन्य सेवाओं के साथ संचालन में तालमेल बिठाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने अंतरराष्ट्रीय विकास की पृष्ठभूमि में क्षेत्र की भू-रणनीतिक स्थिति की गतिशीलता पर विचार किया। इसके अलावा हिंद महासागर क्षेत्र में खुद को मजबूत करने के लिए नौसेना ने भविष्य की रूपरेखा तैयार करने पर भी मंथन किया।

नई दिल्ली के नौसेना भवन में 17 से 20 सितंबर तक हुए कमांडरों के सम्मेलन की शुरुआत नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी के उद्घाटन भाषण से हुई। उन्होंने सम्मेलन को भारतीय नौसेना का सबसे महत्वपूर्ण शीर्ष स्तरीय मंच बताया, जहां नौसेना को युद्ध के लिए तैयार, विश्वसनीय, एकजुट और भविष्य के लिए तैयार बल बनाए रखने के लिए विचार-विमर्श और समाधान खोजने पर चर्चा हुई। नौसेना प्रमुख ने समकालीन भू-रणनीतिक वातावरण में विघटनकारी प्रौद्योगिकियों और समुद्री क्षेत्र में विकसित हो रही रणनीतियों पर प्रकाश डाला।

नौसेना प्रमुख ने आयुध वितरण पर फोकस करके सभी नौसेना प्लेटफार्मों, उपकरणों, हथियारों और सेंसर की युद्ध तत्परता सुनिश्चित करने की आवश्यकता को दोहराया। नौसेना प्रमुख ने तटरक्षक और अन्य समुद्री एजेंसियों के साथ घनिष्ठ संपर्क, तालमेल और कार्यात्मक संबंधों के माध्यम से समुद्री सुरक्षा और तटीय रक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में सतर्कता बनाए रखने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने नौसेना के कमांडों और कर्मचारियों से आग्रह किया कि वे ‘किसी भी समय, कहीं भी, किसी भी तरह’ सहज नेटवर्क वाले बल के रूप में विकसित होते रहें, जो हमारे राष्ट्रीय समुद्री हितों का जवाब देने, उनकी रक्षा करने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए तैयार हों।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 19 सितंबर को नौसेना कमांडरों को संबोधित किया और उनसे बातचीत की। रक्षा मंत्री ने हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा बनाए रखने और अदन की खाड़ी में समुद्री डकैतियां रोकने में भारतीय नौसेना की महत्वपूर्ण भूमिका को सराहा। उन्होंने नौसेना कमांडरों के साथ कई परिचालन और रणनीतिक मुद्दों पर अपने विचार साझा किए और उन्हें उभरती समुद्री चुनौतियों से निपटने के लिए उच्च परिचालन तैयारी और तत्परता बनाए रखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अन्य सेवाओं के साथ संयुक्तता बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

रक्षा मंत्री ने इस कार्यक्रम के तहत आयोजित एक टेक डेमो में भी भाग लिया। भारतीय नौसेना के प्रमुख अनुसंधान एवं विकास संगठन वेपंस एंड इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम्स इंजीनियरिंग इस्टैब्लिशमेंट सहित विभिन्न एजेंसियों ने स्वायत्त प्रणालियों, डोमेन जागरुकता, सॉफ्टवेयर परिभाषित रेडियो और अन्य विशिष्ट तकनीकी पहलों सहित स्वदेशी समाधानों का प्रदर्शन किया। इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने और अन्य वरिष्ठ नागरिक और सैन्य अधिकारी मौजूद थे।

सम्मेलन के दौरान सीडीएस, सीओएएस और सीएएस ने नौसेना कमांडरों के साथ बातचीत की और परिचालन वातावरण के बारे में अपने आकलन साझा किए तथा राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए तत्परता के स्तर को रेखांकित किया। उन्होंने मौजूदा परिचालन वातावरण के संदर्भ में तीनों सेनाओं पर भी प्रकाश डाला, ताकि सशस्त्र बलों को भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों और अनिवार्यताओं का सामूहिक रूप से सामना करने के लिए और अधिक एकीकृत किया जा सके। सम्मेलन में प्रमुख परिचालन, सामग्री, बुनियादी ढांचे, रसद और मानव संसाधन संबंधी पहलों की समीक्षा और समकालीन और उभरती समुद्री सुरक्षा चुनौतियों और शमन रणनीतियों पर भी चर्चा हुई।