भारतीय-अमेरिकी सैनिकों ने अलास्का में किया संयुक्त युद्ध अभ्यास, जाने इनके उद्देश्य

भारत और अमेरिकी सेनाओं ने युद्ध अभ्यास के हिस्से के रूप में अलास्का में एक संयुक्त अभ्यास किया। भारतीय सेना के अधिकारियों ने जानकारी दी कि दोनों सेनाओं ने शुक्रवार को अलास्का में फील्ड ट्रेनिंग अभ्यास किया। इस अभ्यास में दोनों सेनाओं की ताकत को बढ़ाना और उनके रिश्ते को मजबूत करना है। यह अभ्यास 25 सितंबर से 8 अक्टूबर तक होगा।

सोमवार को दी थी जानकारी
बता दें, भारतीय सेना अभ्यास में भाग लेने के लिए हाल ही में अलास्का पहुंची। इससे पहले सोमवार को भारतीय सेना के जनसूचना के अतिरिक्त महानिदेशालय ने एक्स पर जानकारी दी थी कि सेना की टुकड़ियां युद्ध अभ्यास में भाग लेने के लिए दिल्ली से रवाना हो गई हैं। रवाना होने से पहले महानिदेशक ने जवानों के दल से बातचीत की और उनको प्रोत्साहित किया था।

सालाना युद्धाभ्यास का यह 19वां संस्करण
दोनों के बीच सालाना युद्धाभ्यास का यह 19वां संस्करण है। पिछले संस्करण का आयोजन बीते वर्ष नवंबर में उत्तराखंड के औली में हुआ था। इस बार इसमें शामिल होने के लिए भारतीय सेना के 350 सैनिकों का दल अलास्का के फोर्ट वेनराइट पहुंच चुका है। मराठा लाइट इन्फेंट्री रेजिमेंट इस अभ्यास में भारत की नेतृत्वकर्ता बटालियन होगी। वहीं, अमेरिका की ओर से फर्स्ट ब्रिगेड कॉम्बेट टीम की 1-24 इन्फेंट्री बटालियन शामिल होगी। युद्धाभ्यास की थीम ‘पर्वत व चरम मौसम के हालात में संयुक्त सैनिक समूह की तैनाती’ रखी गई।

एक-दूसरे की श्रेष्ठ पद्धतियां सीखेंगे
सैन्य ड्रिल की श्रेष्ठ पद्धतियों और दृष्टिकोण को एक-दूसरे के सामने रखा जाएगा। सैन्य कौशल, युद्ध से जुड़ी इंजीनियरिंग, लड़ाकू कार्रवाइयों के दौरान बाधाएं हटाने और इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) से युद्ध के तौर तरीके भी आपस में साझा होंगे।

साझी कार्रवाई का अभ्यास : दोनों पक्ष टैक्टिकल ड्रिल की शृंखला का अभ्यास करेंगे। यह संयुक्त राष्ट्र शांति सेना की कार्रवाइयों में दोनों को साथ तैनात करने में मदद करेगा।

अकादमिक चर्चाएं : अभ्यास के बाद चुने हुए विषयों पर अकादमी चर्चाएं होंगी। अपने अनुभवों और श्रेष्ठ कार्य पद्धतियों के बारे में भी आपस में विस्तृत बातचीत होगी।

अभ्यास का फायदा
भारतीय सेना के अनुसार, यह जमीनी युद्धाभ्यास दुश्मन सेना के सामने ब्रिगेड स्तर पर एक मिली-जुली सेना का प्रदर्शन जांचने में मदद करेगा।
ब्रिगेड व बटालियन स्तर पर संयुक्त निगरानी प्रणाली की जांच हो सकेगी।
हेलिकॉप्टर या विमानों से सैन्य कार्रवाईयों में सैनिक उतारने व सैन्य ताकत बढ़ाने की क्षमताएं परखी जाएंगी।
ऊंचे स्थलों और चरम मौसम के हालात में सैन्य कार्रवाई के दौरान रसद सामग्री की जरूरतों, हताहत सैनिकों के लिए
प्रबंधन, बचाव अभियानों, युद्ध के समय चिकित्सा सहायता पहुंचाने व अन्य पहलुओं का भी परीक्षण होगा।
दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे से कई चीजों सीखेंगी, यह आपसी संबंध को और मजबूत करेगा

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