मध्यप्रदेश की पटवारी परीक्षा के फर्जी टॉपर की तरह अब मेरठ यूनिवर्सिटी में भी फर्जी गोल्ड मेडलिस्ट बनाये गये है. भाई-भतीजावाद में डूबे चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय में यह कारनामा एक प्रोफेसर कपल ने किया है. बिजनेस स्टडीज की असिस्टेंट प्रोफेसर ने अपने प्रोफेसर पति के साथ मिलकर फिसड्डी छात्रा को एमबीए का गोल्ड मेडलिस्ट बना डाला. यूपी की राज्यपाल के आदेश पर इस मामले में जांच शुरू हुई है.
चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय के इस्टीट्यूट ऑफ बिजनैस स्टडीज की छात्रा कंचन भारद्वाज का हक डकारा गया है. कंचन एमबीए की टॉपर थी लेकिन एक साजिश के चलते फाइनल सेमेस्टर में उससे ज्यादा नंबर उसी की सहपाठी और पढ़ने-लिखने में कमजोर शताक्षी को दे दिये गये. कंचन का आरोप है कि इस्टीट्यूट की असिस्टेंट प्रोफेसर स्वाती शर्मा ने यूनीवर्सिटी का एक्जाम सिक्योरिटी कोड तोड़कर यह साजिश रची और अपनी भांजी को टॉपर बनवाकर उसे गोल्ड मेडल का दावेदार बना दिया है. इस मामले की शिकायत यूपी की राज्यपाल और विश्वविद्यालय की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल से की गयी.
राजभवन से आये आदेश के बाद मामले की जांच की गयी तो रिश्तेदार छात्रा को गोल्डमैडलिस्ट बनाने की कहानी सामने आयी है. छात्रा शताक्षी की मौसी डॉ0 स्वाती शर्मा बिजनेस स्टडीज में एसोसिएट प्रोफेसर है. शताक्षी के मौसा दो साल पहले तक इसी विभाग में पढाते थे. अब वह बरेली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हो गये है. मौसी ने बेटी को गोल्डमैडल दिलाने की साजिश में विश्वविद्यालय का सिक्योरिटी कोड तोड़ा और अपने पति त्रिलोचन शर्मा से 4 विषयों की कापियां चैक कराई है. मौसा जी ने जी-भरकर बेटी को नंबर दिये. हर एक विषय का पूर्णाक 70 है जिसमें 60 से 64 नंबर तक दिये गये है. बाकी दो विषयों में शताक्षी के नंबर औसत है. ये दो विषय किसी अन्य शिक्षक ने जांचे है. अब मौसी जी ताल ठौंककर कह रही है कि ब्लड रिलेशन में कापी जांचना प्रतिबंध है और मौसा जी इस प्रतिबंध से परे है.