चारधाम यात्रा मार्ग पर चमोली जिले के देवली बगड़, टिहरी के गुलर और रुद्रप्रयाग जिले के पाखी जलग्वार में नए पुलों का निर्माण हो गया है। जिससे पुराने पुल लोक निर्माण विभाग के लिए अनुपयोगी हो गए।
चारधाम यात्रा मार्ग पर अनुपयोगी हो चुके पुराने पुलों को पर्यटक सुविधाओं के लिए विकसित किया जाएगा। कैबिनेट ने पहले चरण में टिहरी, चमोली और रुद्रप्रयाग जिले में तीन पुलों पर रेस्टोरेंट, पार्किंग और शौचालय बनाने की मंजूरी दी है। उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के माध्यम से इन पुलों को पर्यटक सुविधाओं के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
चारधाम यात्रा मार्ग पर चमोली जिले के देवली बगड़, टिहरी के गुलर और रुद्रप्रयाग जिले के पाखी जलग्वार में नए पुलों का निर्माण हो गया है। जिससे पुराने पुल लोक निर्माण विभाग के लिए अनुपयोगी हो गए। अब इन पुलों पर रेस्टोरेंट, पार्किंग और शौचालय बनाए जाएंगे। जिससे चारधाम यात्रा पर आने वाले पर्यटकों को भी सफर करते समय सड़क किनारे कुछ देर रुकने के लिए उचित स्थान मिल सके। इससे जहां यात्रियों को सुविधा मिलेगी। वहीं, राज्य को राजस्व प्राप्त होगा।
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अब पर्यटन क्षेत्र के निवेश प्रस्तावों को सिंगल विंडो से मिलेगी मंजूरी
पर्यटन नीति के तहत प्राप्त होने वाले निवेश प्रस्तावों को अब सिंगल विंडो सिस्टम से मंजूरी मिलेगी। इसके लिए सरकार ने पर्यटन नीति में संशोधन किया है। यह नीति 2030 तक लागू रहेगी।
इसी साल गैरसैंण में आहुत बजट सत्र के दौरान मंत्रिमंडल ने प्रदेश की पर्यटन नीति को मंजूरी दी थी। लेकिन अभी तक नीति को क्रियान्वित करने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम की व्यवस्था नहीं थी। सरकार ने पर्यटन क्षेत्र में निवेश प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए नीति में संशोधन किया है। नीति के तहत प्राप्त निवेश प्रस्तावों को सिंगल विंडो से सभी अनुमतियां दी जाएगी। इससे निवेश को धरातल पर उतारने में तेजी आएगी।
डीएम को दिया गौसदन निर्माण और गोवंश भरण पोषण का अधिकार
प्रदेश सरकार ने लावारिस गोवंश के संरक्षण और गोसदन निर्माण की स्वीकृति का अधिकारी जिलाधिकारियों को दिया है। डीएम की अध्यक्षता में प्रत्येक जिले में कमेटी बनाई जाएगी। इस कमेटी के माध्यम से गोसदन संचालित करने वाली संस्थाओं को भरण पोषण के लिए प्रति पशु 80 रुपये की राशि दी जाएगी। इसके लिए अब शासन और पशुपालन विभाग ने स्वीकृति नहीं लेनी पड़ेगी। वर्तमान में अनुदान के लिए उत्तराखंड पशु कल्याण बोर्ड, पशुपालन निदेशालय व शासन स्तर पर परीक्षण के बाद गैरसरकारी गोसदन संस्थाओं को भरण-पोषण के लिए अनुदान राशि दी जाती है। इस जटिल प्रक्रिया में अधिक समय लगने के कारण, गैरसरकारी पशु कल्याण संस्थाओं को समय पर अनुदान नहीं मिलता है। अब सरकार ने राजकीय अनुदान देने और नये गोसदनों के निर्माण की स्वीकृति के लिए जिलाधिकारी को अधिकार दिए हैं।