एक विद्वान राजनेता और सेलिब्रिटी राजनयिक हेनरी किसिंजर ने अमेरिकी राष्ट्रपतियों रिचर्ड एम निक्सन और गेराल्ड फोर्ड के प्रशासन के दौरान और उसके बाद एक सलाहकार के रूप में काम किया। वह लेखक भी रहे और उन्होंने अमेरिकी विदेश नीति को बेहतर बनाया था। किसिंजर को वैश्विक राजनीति और व्यापार को आकार देने वाली शक्ति भी माना जाता है।
पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर का बुधवार को 100 साल की उम्र में कनेक्टिकट में उनके घर पर निधन हो गया। द वाशिंगटन पोस्ट ने बताया कि किसिंजर की मृत्यु की घोषणा उनकी परामर्श फर्म ने एक बयान में की। हालांकि, मृत्यु किस कारण हुई, ये अभी तक नहीं साफ हुआ।
विद्वान से लेकर राजनयिक तक का सफर
एक विद्वान, राजनेता और सेलिब्रिटी राजनयिक किसिंजर ने अमेरिकी राष्ट्रपतियों रिचर्ड एम निक्सन और गेराल्ड फोर्ड के प्रशासन के दौरान और उसके बाद एक सलाहकार और लेखक के रूप में काम किया। उन्होंने अमेरिकी विदेश नीति को बेहतर बनाया था। किसिंजर को वैश्विक राजनीति और व्यापार को आकार देने वाली शक्ति भी माना जाता है।
जर्मनी में पैदा हुए थे हेनरी
हेंज अल्फ्रेड किसिंजर का जन्म 27 मई 1923 को जर्मनी के फर्थ में हुआ था। वह 12 वर्ष के थे जब नूर्नबर्ग कानूनों ने जर्मनी के यहूदियों से उनकी नागरिकता छीन ली थी। किसिंजर का परिवार अगस्त 1938 में जर्मनी छोड़कर अमेरिका चले आया और अमेरिका जाने के बाद वह हेनरी बन गए। वो कई साल न्यूयॉर्क में एक रिश्तेदार के घर पर रहे थे।
विदेश नीति पर था पूरा नियंत्रण
द वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, एक ही समय में व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और अमेरिकी विदेश मंत्री बनने वाले हेनरी एकमात्र व्यक्ति थे। उनका अमेरिकी विदेश नीति पर भी पूरा नियंत्रण था।
विवादों से रहा गहरा नाता
किसिंजर का विवादों से गहरा रिश्ता रहा है। किसिंजर और वियतनाम के ले डक थो को गुप्त वार्ता के लिए नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था, जिसे उन्होंने अस्विकार कर दिया था। ये सबसे विवादास्पद पुरस्कार रहा था। इस वार्ता के कारण 1973 का पेरिस समझौता हुआ और वियतनाम युद्ध में अमेरिकी सेना की भागीदारी समाप्त हो गई थी।
बांग्लादेश के बंटवारे के वक्त वहां के लोगों के नरसंहार के दौरान हेनरी ने पाकिस्तान का साथ दिया था, जिसके बाद बड़ा विवाद हुआ था।