पुरानी लाइब्रेरी में रखी नायाब पुस्तकों के लिए करीब 20 करोड़ रुपये की लागत से नई लाइब्रेरी का निर्माण किया जा रहा है। इसका निर्माण कार्य आखिरी पड़ाव में है।
विश्वविख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम को जल्द ही नई लाइब्रेरी की सौगात मिलने वाली है। पुरानी लाइब्रेरी में रखी नायाब पुस्तकों के लिए करीब 20 करोड़ रुपये की लागत से नई लाइब्रेरी का निर्माण किया जा रहा है। इसका निर्माण कार्य आखिरी पड़ाव में है। लाइब्रेरी की खूबसूरत इमारत लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है, जो गोलाकार होगी।
दरअसल, दारुल उलूम में स्थित लाइब्रेरी में पुस्तकों की संख्या लाखों में हो जाने के चलते इसका पुराना भवन छोटा पड़ने लगा। जिसे देखते हुए संस्था की सुप्रीम पावर मजलिस-ए-शूरा ने नई लाइब्रेरी के निर्माण का प्रस्ताव पारित किया था और इसके निर्माण के लिए करीब 8 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था। वर्ष 2006 में लाइब्रेरी का निर्माण कार्य शुरू हुआ तो धीरे-धीरे इसका बजट भी बढ़ता चला गया। वर्तमान में इसका बजट करीब 20 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। गोलाकार लाइब्रेरी की इमारत की खूबसूरती लोगों को अपनी और आकर्षित करती है। दारुल उलूम के साथ-साथ यह लाइब्रेरी भी देश विदेश में अपनी अलग पहचान बना चुकी है। लाइब्रेरी के चारों ओर लिफ्ट लगाई जाएंगी ताकि सात मंजिला इमारत में ऊपर-नीचे जाने में किसी तरह की परेशानी न हो।
संस्था के नायब मोहतमिम मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी ने बताया कि 2 लाख 62 हजार वर्ग फीट में बने सात मंजिला गोल भवन की ऊपरी चार मंजिलों में लाइब्रेरी होगी। जिसमें 10 लाख से अधिक पुस्तकें रखने की व्यवस्था होगी, जबकि पहली व दूसरी मंजिल में कन्वेंशन हाल और तीसरे मंजिल में हदीस की कक्षा चलेगी।
डिजाइन ऐसा की चारों तरफ से आती है हवा
लाइब्रेरी के भवन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसमें किसी भी रुख से चलने वाली हवा अंदर जरूर पहुंचेगी। छात्रों को पढ़ाई में किसी तरह की दिक्कत न हो इसके लिए लाइब्रेरी के अंदर तेज रोशनी वाली लाइटें लगाई गई हैं। जिनके जलने पर लाइब्रेरी पूरी तरह जगमगा उठती है।
लाइब्रेरी पर विवाद भी रहा
वर्ष 2019 में बजरंग दल के प्रांत संयोजक विकास त्यागी ने दारुल उलूम की लाइब्रेरी पर कथित तौर पर हेलीपैड बनाए जाने तथा बिना मानचित्र स्वीकृत कराए निर्माण कार्य कराए जाने की शिकायत मुख्यमंत्री से की थी। जिसके बाद सीएम कार्यालय से मामले की जांच के आदेश हुए थे।
तत्कालीन डीएम आलोक कुमार पांडेय व एसएसपी दिनेश कुमार पी. ने इसकी जांच की थी जिसमें हेलीपेड तो बनना नहीं पाया गया, लेकिन बिना अनुमति निर्माण कार्य होना मिला था। जिसमें भवन को लेकर रिपोर्ट मांगी गई थी और कंपाउंडिंग की गई थी। इसमें दारुल उलूम प्रबंधन की ओर से सहयुक्त नियोजक मेरठ कार्यालय में जुर्माना भी जमा कराया गया था।