बच्चों में गंभीर रूप ले सकता है Asthma,  इन तरीकों से करें इसे मैनेज

यातायात से संबंधित वायु प्रदूषण (टीआरएपी) का भारत में अस्थमा के 13% मामलों में योगदान होता है और यह निश्चित रूप से प्रमुख चिंताओं में एक है। ऐसी आबादी में जहां बायोमास ईंधन का उपयोग होता है। घर के अंदर वायु प्रदूषण भी एक प्रमुख जोखिम कारक बन जाता है। स्मॉग में प्रदूषण के कारणों के संपर्क में आने से बीमारी बढ़ सकती है, फेफड़ों की कार्यक्षमता कम हो सकती है और अस्थमा बढ़ने पर बच्चों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है। ऐसे में फेलो इन पेड पल्मोनोलॉजी (यूके), एमडी (पेड), डीसीएच (बीओएम) डॉ. इंदु खोसला बता रही हैं बच्चों में अस्थमा से निपटने के कुछ तरीकों के बारे में-

अस्थमा से पीड़ित बच्चों को प्रदूषण कैसे प्रभावित करता है?
बच्चों में अस्थमा की शुरुआत का एक प्रमुख कारण वायु प्रदूषण है। आमतौर पर अस्थमा की शुरुआत का संबंध वायु प्रदूषण से है। इनमें वायरल संक्रमण, पराग, बारीक कण पदार्थ, धुआं, धूल, कालिख, रसायन, वाहनों से होने वाला उत्सर्जन शामिल है। इनसे होने वाली शुरुआत में एयरवेज में जलन, सूजन या तकलीफ हो सकती है, जिससे अस्थमा पीड़ित बच्चों के लिए सांस लेना मुश्किल हो जाता है।

प्रदूषित हवा में अक्सर पराग और फंगस जैसे एलर्जी कारक होते हैं, जो अस्थमा से पीड़ित बच्चों में एलर्जी से जुड़ी प्रतिक्रिया को तेज करते हैं। इसके अलावा, स्मॉग में जमीन के स्तर पर ओजोन, जो आमतौर पर प्रदूषित शहरी क्षेत्रों में पाया जाता है, सांस लेने में परेशानी पैदा करता है, जो अस्थमा के लक्षणों को बढ़ा सकता है। इन लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं:

सांस लेने में तकलीफ, जिसमें सांस तेज चलती है और हवा पूरी नहीं जाती है
लगातार खांसी या ऐसी खांसी जिसका इलाज करना मुश्किल हो
खांसी जो अक्सर रात में बढ़ जाती है
घरघराहट, सांस छोड़ने के दौरान तेज सीटी जैसी आवाज
सीने में जकड़न, खास कर बड़े बच्चों में जो छाती पर दबाव जैसा महसूस करते हैं
अस्थमा का दौरा पड़ सकता है, जिसके लिए तुरंत इलाज की जरूरत होती है
देश में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के बीच, माता-पिता को इन कारणों और शुरुआत को लेकर सतर्क रहना चाहिए और विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होता है कि उनके बच्चे किसी प्रकोप के डर के बिना हर सीजन का आनंद ले सकें। इस जागरूकता के अलावा, इस अवधि में कई आवश्यक रणनीतियों की भूमिका होती है, जैसे:

शीघ्र जांच और निदान
अस्थमा का पता लगाने के लिए, माता-पिता को अपने बच्चे पर नजर रखना चाहिए और लक्षणों, गंभीरता, आवृत्ति और महत्वपूर्ण कारकों पर विचार करना चाहिए। जिन लोगों में अस्थमा विकसित होता है, उनका पारिवारिक इतिहास एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारक है। वैसे तो अस्थमा आजीवन रहता है, लेकिन जल्दी पता चल जाए तो सही इलाज से इसे प्रभावी ढंग से मैनेज किया जा सकता है। अगर बच्चों में आपको सांस फूलना, बोलने में परेशानी, नीले होंठ जैसे लक्षण दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से सपंर्क करें।

अस्थमा का निदान
इस बीमारी का पता लगाने के लिए छह वर्ष से अधिक के बच्चों पीक एक्सपायरेट्री फ्लो (पीईएफ) या स्पाईरोमेट्री जैसे परीक्षण किए जाते हैं। वहं, नई तकनीक जैसे इंपल्स ऑसिलोमेट्री का उपयोग तीन साल से ऊपर के बच्चों के लिए किया जा सकता है जबकि फेनो (FeNO) परीक्षण का उपयोग सूजन (आमतौर पर स्कूल जाने वाले बच्चों में) का पता लगाने के लिए किया जाता है और संभावित ट्रिगर की पहचान करने के लिए त्वचा की चुभन या ब्लड टेस्ट के जरिए एलर्जी टेस्ट का उपयोग किया जा सकता है।

इन बातों का भी रखें ध्यान
बच्चों का रूटीन सेट करें
अपने बच्चे की दिनचर्या तय करें, खासकर खराब वायु गुणवत्ता वाले दिनों में। प्रदूषण के चरम घंटों के दौरान, आमतौर पर दोपहर में इनडोर गतिविधियों पर जोर दें। सही जानकारी देने वाले एप्स या वेबसाइट्स का उपयोग कर वायु गुणवत्ता की निगरानी करें।

अस्थमा-अनुकूल वातावरण बनाना
सर्दियों के दौरान, घर के अंदर हवा की गुणवत्ता को साफ करें, उचित वेंटिलेशन सुनिश्चित करें और एलर्जी व जलन पैदा करने वाले कारकों के संपर्क को कम करें। वायु शोधक का उपयोग करके, स्वच्छ और धूल-मुक्त घरेलू वातावरण बनाए रखकर और तंबाकू के धुएं से बचकर ऐसा किया जा सकता है।

स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा दें
अपने बच्चों की इम्युनिटी मजबूत बनाने के लिए उन्हें फलों और सब्जियों से भरपूर पौष्टिक आहार के लिए प्रोत्साहित करें। साथ ही उन्हें हाइड्रेट रखने के लिए पर्याप्त पानी पीने को कहें। इसके अलावा डीप ब्रीथिंग एक्सरसाइज और माइंडफुलनेस जैसी तनाव मैनेजमेंट तकनीक बच्चों को तनाव से निपटने में मदद कर सकती हैं, जो अस्थमा का एक मुख्य ट्रिगर है।

साफ-सफाई का ध्यान रखें
नियमित रूप से हाथ धोने से, विशेष रूप से भोजन से पहले और बाहरी गतिविधियों के बाद, रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन का खतरा कम हो जाता है, जो अस्थमा के लक्षणों को खराब कर सकता है।

एनुअल वैक्सीनेशन कराएं
सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे को इन्फ्लूएंजा से बचाने के लिए फ्लू की एनुअल वैक्सीन जरूर लगवाएं, जो अस्थमा को बढ़ा सकता है और सर्दियों के मौसम में उनकी सेहत की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com