टाटा स्टील मास्टर्स शतरंज टूर्नामेंट में प्रगनाननंदा ने महिला विश्व चैंपियन वेन जुन को हराया

आर प्रगनाननंदा ने चार बार की महिला विश्व चैंपियन चीन की वेन जुन को हराकर टाटा स्टील मास्टर्स शतरंज टूर्नामेंट में संयुक्त रूप से बढ़त बना ली है। वह नौ दौर के बाद 5.5 अंकों के साथ नीदरलैंड के अनीश गिरी, भारत के डी गुकेश, उज्बेकिस्तान के नोदिरबेक अब्दुसत्तारोव के साथ बढ़त पर हैं। गुकेश ने साथी खिलाड़ी विदित गुजराती के साथ ड्रॉ खेला। गुजराती के पांच अंक हैं। प्रगनाननंदा ने वेनजुन को हराने में सिर्फ 33 चालों का सहारा लिया। वह हाल के वर्षों में पुरुष और महिला वर्ग के विश्व चैंपियनों को हराने वाले खिलाड़ी बन गए हैं। उन्होंने विश्व चैंपियन चीन के डिंग लिरेन को भी इसी टूर्नामेंट में हराया था।

बचपन से कमाल कर रहे हैं प्रगनाननंदा
प्रगनाननंदा 12 साल की उम्र में ही ग्रैंडमास्टर बन गए थे। उनका जन्म 10 अगस्त 2005 को चेन्नई में हुआ था। वह तीन साल उम्र में ही शतरंज से जुड़ गए थे। प्रगनाननंदा के पिता रमेशबाबू बैंक में करते हैं। उन्होंने पोलियो से ग्रसित होने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और बच्चों का अच्छे से पालन-पोषण किया। प्रगनाननंदा की बड़ी बहन वैशाली को भी यह खेल पसंद था और उन्हें देखकर ही प्रगनाननंदा ने शतरंज खेलना शुरू किया। प्रगनाननंदा के लिए साल 2018 खास रहा। वह महज 12 साल की उम्र में ही ग्रैंडमास्टर बन गए थे। वह भारत के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बने थे। इस मामले में उन्होंने विश्वनाथन आनंद को पीछे छोड़ा था।

आनंद 18 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बने थे। प्रगनाननंदा दुनिया के दूसरे सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बने थे। उनसे आगे सिर्फ यूक्रेन के सिर्जी कर्जाकिन हैं। वह साल 1990 में सिर्फ 12 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बन गए थे। पिछले साल वह फिडे विश्वकप शतरंज के फाइनल में हार गए। उन्होंने सेमीफाइनल में दुनिया के तीसरे नंबर के खिलाड़ी फैबियानो कारुआना को हराया था, लेकिन फाइनल में नॉर्वे के मैग्नस कार्लसन की चुनौती को नहीं तोड़ पाए। वह दुनिया के नंबर-1 खिलाड़ी के खिलाफ टाईब्रेकर में हार गए।

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