सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग के मधवलिया रेंज में तैयार हो रहा लेपर्ड (तेंदुआ) रेस्क्यू सेंटर फरवरी के अंत तक पहला चरण पूरा कर लेगा। इसमें पशु अस्पताल, पांच तेंदुओं के संरक्षण और संवर्धन की सुविधा शुरू हो जाएगी। लगभग 22 हजार स्कवायर मीटर से अधिक क्षेत्रफल में इसका निर्माण हो रहा है।
शासन की तरफ से तकनीकी पर्यवेक्षण के लिए नामित गोरखपुर चिड़ियाघर के पशु चिकित्साधिकारी डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने रेस्क्यू सेंटर का निरीक्षण किया। डॉ. योगेश ने बताया कि शासन की तरफ से प्रदेश में बढ़ते हुए मानव वन्य जीव संघर्ष की घटनाओं को देखते हुए पिछले वर्ष प्रदेश में चार जगहों में रेस्क्यू सेंटर खोले जाने का निर्णय लिया गया था।
इसमें चार रेस्क्यू सेंटर तेंदुए और टाइगर के लिए बनाए जाने का फैसला शासन की तरफ से लिया गया था। इसी क्रम में पहला केंद्र महाराजगंज के सोहगीबरवा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, दूसरी पीलीभीत, तीसरा हस्तिनापुर (मेरठ) और चौथा रानीपुर (चित्रकूट) में बनाया जा रहा है।
कार्यदायी फर्म के अवर अभियंता रोहित मिश्रा ने बताया कि ये कई चरणों में बनाया जाएगा। पहला चरण शासन की तरफ से जारी 4.99 करोड़ रुपये की धनराशि से पूरा किया जा रहा है। इसमें पांच तेंदुए या टाइगर के संरक्षण के साथ अन्य स्थान बनाए जा रहे हैं। फरवरी के अंत में पहले चरण का काम पूरा हो जाएगा। इसके साथ ही रेस्क्यू सेंटर तैयार हो जाएगा।
दरअसल, सोहगीबरवा सेंचुरी क्षेत्र में तेंदुआ समेत अन्य वन्य जीवों की उपलब्धता के कारण यह समृद्ध जंगल के रूप में जाना जाता है। आवश्यक व्यवस्थाओं के अभाव में आए दिन यहां मानव व वन्य जीव में संघर्ष होना आम बात है। ऐसे में कई बार जंगलों से बाहर निकलने वाले तेंदुए भी घायल हो जाते हैं। उनकी समुचित देखभाल स्थानीय स्तर पर नहीं हो पाती। कभी-कभार घायल हुए तेंदुए को इलाज के लिए बाहर भी भेजना पड़ता है।
स्थानीय स्तर पर वन्य जीवों को समुचित इलाज और अन्य व्यवस्थाएं मिलें, इसके लिए वन विभाग ने पूर्व में शासन को प्रस्ताव भेजा था। स्वीकृति के अब फरवरी में पहले चरण के काम को पूरा भी करना है।