केंद्रीय कैबिनेट ने अंतरिक्ष सेक्टर में सौ प्रतिशत विदेशी निवेश को आटोमेटिक रूट से लाने के प्रस्ताव को मंजूरी देकर तेजी से उभर रहे घरेलू अंतरिक्ष उद्योग को एक बड़ा प्रोत्साहन दिया है। पहले ही दुनिया में सस्ती दर पर और विश्वस्त सैटेलाइट लांचिंग करने को लेकर अपनी अलग छवि बना चुके भारत में इस फैसले से ज्यादा विदेशी कंपनियों के आने का रास्ता साफ होगा। सरकार का कहना है कि यह अंतरिक्ष सेक्टर में आत्मनिर्भर भारत नीति के तहत किया गया फैसला है। इससे कारोबार करने की सहूलियत बढ़ेगी और विदेशी निवेश से रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे व पूरा अंतरिक्ष उद्योग तेजी से ज्यादा प्रतिस्पर्द्धी बनेगा।
मोदी सरकार ने अप्रैल, 2023 में ही भारत की अतंरिक्ष नीति की घोषणा की थी। इसमें निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने की बात कही गई थी। अंतरिक्ष सेक्टर का महत्व आने वाले दिनों में काफी ज्यादा बढ़ने की बात तमाम विशेषज्ञ कर रहे हैं। यह ना सिर्फ संचार और प्रौद्योगिक सेक्टर के लिए बल्कि किसी देश की सुरक्षा के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होगा। किसी देश की सैन्य ताकत को निर्धारित करने में भी अंतरिक्ष सेक्टर की अहम भूमिका होगी। इन वजहों से पिछले कुछ वर्षों से अंतरिक्ष उद्योग को भारत सरकार विशेष तौर पर ध्यान रख रही है। अब कैबिनेट ने जो फैसला किया है उसमें सैटेलाइट, लांच व्हिक्लस व इससे जुड़े दूसरी पद्धतियों की अलग-अलग पहचान की गई है व उनकी परिभाषा तय करते हुए उनके लिए विदेशी निवेश की सीमा को निर्धारित किया गया है।
कैबिनेट के फैसले के मुताबिक सैटेलाइट मैन्यूफैक्चरिंग व संचालन, सैटेलाइट डाटा उत्पादों में 74 प्रतिशत तक एफडीआइ आटोमेटिक रूट से लाने की मंजूरी दी गई है। इससे ज्यादा निवेश लाने पर सरकार की पहले अनुमित लेनी होगी। लांच व्हिक्लस (जमीन से अंतरिक्ष में ले जाने वाले राकेट), स्पेसपोर्ट और स्पेसक्राफ्ट से संबंधित सेवाओं में एफडीआइ को 49 प्रतिशत तक आटोमेटिक रूट से लाने की इजाजत होगी। इससे ज्यादा के लिए सरकारी अनुमति का नियम लागू रहेगा। सैटेलाइट, इसके लिए आवश्यक उपकरण, सिस्टम निर्माण आदि के क्षेत्र में सौ प्रतिशत एफडीआइ से लाने की मंजूरी दी गई है।
इंडियन स्पेस एसोसिएशन के महानिदेशक ले. जनरल ए के भट्ट (सेवानिवृत्त) ने भारत सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा है कि यह बहुत ही दूरगामी परिणाम वाला फैसला साबित होगा। यह भारतीय कंपनियों को उच्चस्तरीय अतंरराष्ट्रीय प्रौद्योगिक उपलब्ध कराएगा। अभी वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ दो प्रतिशत है जो इस फैसले के बाद काफी बढ़ सकती है।
एक अध्ययन के मुताबिक भारतीय अंतरिक्ष उद्योग का आकार अभी सात अरब डालर का है और इसमें एक लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। कुछ विशेषज्ञों ने कहा है कि सरकार की तरफ से जो बढ़ावा मिल रहा है, उससे यह उद्योग वर्ष 2030 तक 50 अरब डालर का हो सकता है और इसमें पांच लाख लोगों को सीधे तौर पर रोजगार के अवसर मिल सकते हैं। विदेशी कंपनियां अंतरिक्ष सेक्टर में बहुत ज्यादा निवेश कर रही हैं और उनके भारत में आने से यहां के उद्योग व स्टार्ट अप तक विदेशी प्रौद्योगिकी आसानी से पहुंच सकेगी।