उत्तर प्रदेश में डाटा प्रबंधन समेत पांच प्रणालियों के आधार पर शहरों का विकास किया जाएगा। अन्य प्रणालियों में नगरीय बाढ़ स्टॉर्मवाटर मैनेजमेंट, कैपिसिटी बिल्डिंग, क्लाइमेट फ्रेंडली अर्बन प्लानिंग और इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल नीति के क्रियान्वयन भी शामिल है। प्रदेश सरकार ने शहरों के कायाकल्प के लिए वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई) इंडिया के साथ करार किया है।
नगर विकास विभाग डब्ल्यूआरआई इंडिया साथ मिलकर शहरी क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने और लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने की कवायद शुरू की है। वहीं, करार के तहत सरकार प्रदेश में विकास की गति को मापेगी और डब्ल्यूआरआई इंडिया के सुझावों के आधार पर आगे की दिशा व गति का तय करेगी। इसके लिए प्रदेश के वरिष्ठ सरकारी अफसरों और शहरी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वर्गों के लिए कार्यशाला व प्रशिक्षण कार्यक्रम भी संचालित किए जाएंगे।
इन प्रणालियों में ये कार्य होंगे
डाटा प्रबंधन प्रणाली : सीएम ग्रिड्स और अन्य राज्य में चल रही योजनाओं के तहत सड़क विकास और विस्तार जैसी प्रमुख परियोजनाओं की प्रगति की निगरानी की जाएगी।
नगरीय बाढ़ स्टॉर्मवाटर मैनेजमेंट प्रणाली : राज्य स्तर पर स्टॉर्मवाटर प्रबंधन के लिए रणनीति तैयार की जाएगी।
कैपेसिटी बिल्डिंग प्रणाली : नगरीय प्रशासन को जलवायु और पर्यावरण के अनुकूल विकास के लिए प्रशिक्षण और क्षमता संवर्द्धन का भी कार्य भी किया जाएगा।
क्लाइमेट फ्रेंडली अर्बन प्लानिंग : शहरों में स्थानीय अधिकारियों को क्लाइमेट फ्रेंडली अर्बन प्लानिंग करने में मदद की जाएगी।
इलेक्ट्रिक वाहन नीति का क्रियान्वयन : डब्ल्यूआरआई इंडिया की टीम राज्य के भीतर ई मोबिलिटी के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने के लिए सुझाव देगी। ईवी पॉलिसी 2022 के क्रियान्वयन में भी मदद करेगी।