विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति तभी बहाल होगी जब सीमा पर सैनिकों की पारंपरिक तैनाती होगी यानी 2020 से पूर्व की स्थिति बहाल होगी। चीन के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए सिर्फ यही शर्त होगी। जयशंकर ने मलेशिया की राजधानी में भारतीय प्रवासियों के साथ बातचीत के दौरान चीन के साथ भारत के संबंधों की वर्तमान स्थिति पर एक सवाल का जवाब देते हुए यह बात कही।
उन्होंने कहा, “भारतीयों के प्रति मेरा पहला कर्तव्य सीमा को सुरक्षित करना है। मैं इससे कभी समझौता नहीं कर सकता।” उन्होंने कहा कि हर देश अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध चाहता है। और कौन नहीं चाहेगा? लेकिन हर रिश्ते को किसी न किसी आधार पर ही तो स्थापित करना होगा। उन्होंने कहा, “हम अभी भी चीनियों के साथ बातचीत कर रहे हैं। मैं अपने समकक्ष से बात करता हूं। हम समय-समय पर मिलते हैं। हमारे सैन्य कमांडर एक-दूसरे के साथ बातचीत करते हैं। लेकिन हम बहुत स्पष्ट हैं कि हमारे बीच एक समझौता था। दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा है। हमारी परंपरा रही है कि हम उस रेखा पर सेना नहीं लाएंगे। हम दोनों के सैन्य अड्डे कुछ दूरी पर हैं, जो हमारी पारंपरिक तैनाती जगह है और हम वही सामान्य स्थिति चाहते हैं। यह स्थिति ही रिश्ते को आगे बढ़ाने का आधार होगी।”
उन्होंने कहा कि चीन के मामले में संबंध कई कारणों से कठिन रहे हैं, जिसमें यह तथ्य भी शामिल है कि दोनों पक्षों के बीच सीमा विवाद है। जून 2020 में गलवन घाटी में हुए हिंसक टकराव के बाद भारत और चीन के बीच संबंधों में काफी गिरावट आई है। उधर, रूस-यूक्रेन संघर्ष जयशंकर ने कहा कि भारत का स्पष्ट मानना है कि युद्ध के मैदान पर समाधान नहीं खोजा जा सकता है। बातचीत और कूटनीति के जरिये ही समस्या का हल निकाला जा सकता है। भारत इस दिशा में निरंतर प्रयासरत है और दोनों देशों के संपर्क में है।
द्विपक्षीय संबंध और मजबूत करने पर चर्चा
जयशंकर ने बुधवार को मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम से मुलाकात की और मजबूत द्विपक्षीय संबंधों के लिए उनके ²ष्टिकोण को सराहा। उन्होंने कहा कि इससे भारत और मलेशिया के संबंधों के लिए अधिक महत्वाकांक्षी एजेंडा तैयार करने में मदद मिलेगी। क्षेत्रीय विकास पर उनके मार्गदर्शन और अंतर्दृष्टि से लाभ पहुंचा है। जयशंकर सिंगापुर, फिलीपींस और मलेशिया की अपनी तीन देशों की यात्रा के तीसरे और आखिरी चरण में कुआलालंपुर में हैं। उन्होंने एक्स पर पोस्ट में कहा कि मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम से मुलाकात करना सम्मान की बात है। उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हार्दिक शुभकामनाएं दीं। भारत-मलेशिया संबंधों के लिए उनके ²ष्टिकोण से पारंपरिक और नए युग दोनों क्षेत्रों में हमें मजबूत रिश्ते के लिए एक अधिक महत्वाकांक्षी एजेंडा तैयार करने में मदद मिलेगी।
विदेश मंत्री हसन से भी विभिन्न विषयों पर हुई बातचीत
इससे पहले जयशंकर ने अपने मलेशियाई समकक्ष मोहम्मद बिन हाजी हसन से मुलाकात की। मलेशियाई विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि दोनों विदेश मंत्रियों ने सकारात्मक और स्पष्ट चर्चा की। इसमें मलेशिया-भारत द्विपक्षीय मामलों के बहुमुखी आयामों के साथ-साथ पारस्परिक हित के क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान शामिल था। जयशंकर ने एक्स पर पोस्ट में कहा, “हमने राजनीतिक, आर्थिक, रक्षा, डिजिटल, स्टार्टअप, कांसुलर और लोगों से लोगों के बीच संबंधों में सहयोग बढ़ाने पर विचारों का आदान-प्रदान किया। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र, पश्चिम एशिया और यूक्रेन पर दृष्टिकोण साझा किए।”
विदेश मंत्रालय ने कहा कि उनकी यात्रा का उद्देश्य भारत और मलेशिया के बीच सहयोग को मजबूत करना और चुनौतियों से मिलकर निपटना है। बयान में कहा गया है कि 2023 में भारत मलेशिया का 12वां सबसे बड़ा वैश्विक व्यापार भागीदार था, जिसका कुल व्यापार 16.53 अरब अमेरिकी डालर था।