चीन के साथ सीमा पर तनाव के मद्देनजर भारत अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। स्वदेश में रक्षा उपकरण बनाने के साथ ही मित्र देशों से अत्याधुनिक मिसाइलें और सैन्य उपकरण खरीद कर भी लड़ाकू विमानों के बेड़े की मारक क्षमता बढ़ाई जा रही है। इसी सिलसिले में वायु रक्षा प्रणाली को चकमा देने वाली रैम्पेज मिसाइलों को भारतीय वायुसेना और नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया है।
250 किमी तक लक्ष्य को ध्वस्त करने में सक्षम
सुपरसोनिक या आवाज से अधिक गति वाली रैम्पेज 250 किलोमीटर तक लक्ष्य को ध्वस्त करने में सक्षम है। रक्षा सूत्रों ने बताया कि वायुसेना ने सुखोई -30 एमकेआई और मिग -29, जगुआर लड़ाकू विमानों को रैम्पेज मिसाइलों से लैस किया है। नौसेना ने मिग-29 के नौसैनिक लड़ाकू विमानों के लिए मिसाइलों को अपने बेड़े में भी शामिल किया है। वायुसेना अब इस बात पर भी विचार कर रही है कि क्या मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत रैम्पेज को बनाया जा सकता है।
लड़ाकू विमानों की बढ़ी मारक क्षमता
हवा से जमीन पर मार करने वाली रैम्पेज मिसाइलों के शामिल होने से भारतीय लड़ाकू विमानों की मारक क्षमता और बढ़ गई है। 2019 में बालाकोट हवाई हमले में इस्तेमाल की गई स्पाइस-2000 की तुलना में यह मिसाइल अधिक दूरी तक मार कर सकती है। हाई-स्पीड लो ड्रैग-मार्क 2 मिसाइल के रूप में जानी जाने वाली रैम्पेज मिसाइल को इजरायल ने विकसित किया है।
इजरायल ने इसी मिसाइल से ईरानी ठिकानों पर बरपाया था कहर
इजरायल ने हाल ही में इसी मिसाइल से ईरानी ठिकानों पर कहर बरपाया था। यह मिसाइल सटीक लक्ष्य भेदन के लिए उड़ान के मध्य में रास्ता बदलने में सक्षम है। सभी मौसम में इसका उपयोग किया जा सकता है। 2020 में चीन के साथ गतिरोध के बाद रक्षा मंत्रालय ने सशस्त्र बलों को महत्वपूर्ण हथियारों और उपकरणों से लैस करने के लिए आपातकालीन शक्तियां दी थीं। इसी के तहत इन मिसाइलों को खरीदा गया है।