10 साल में कैसे और कितना बदला देश का बजट

एक हफ्ते बाद (4 जून) को आम चुनाव के नतीजे आएंगे और उसके साथ ही जुलाई, 2024 में पेश होने वाले आम बजट 2024-25 की तैयारियां शुरू हो जाएंगी। ऐसे में सोमवार (27 मई) को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि पीएम मोदी के पिछले दस वर्षों के कार्यकाल में देश में आम बजट पेश करने के तौर-तरीके में भारी बदलाव करते हुए इसे पारदर्शी, विश्वसनीय और प्रभावशाली बना दिया गया है।

उन्होंने यह भी कहा है कि उनकी सरकार ने बजट के जरिए यह सुनिश्चित किया है कि संसाधनों का बराबर विभाजन हो और यह भी तय किया है कि करदाता से प्राप्त हर रुपये का सही तरीके से इस्तेमाल हो। उन्होंने भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए सुधारों के दौर को आगे भी जारी रखने की बात कही है।

निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान वित्त मंत्री रही हैं और वर्ष 2019 से लगातार आम बजट पेश कर रही हैं। कई लोग यह मानते हैं कि अगर भाजपा मौजूदा आम चुनाव में भी विजय हासिल करती है तो सीतारमण आगे भी वित्त मंत्री बनी रह सकती हैं। सोमवार को सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक विस्तृत आलेख में सीतारमण ने कहा है कि, सरकार आगे भी आयकर दाताओं से प्राप्त उनकी गाढ़ी कमाई की राशि का अधिकतम इस्तेमाल करती रहेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि सभी के भलाई के लिए इसका उपयोग हो।

‘बजट में किया बड़ा बदलाव’

वित्त मंत्री ने कहा है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में हमने बजट में इस तरह से बदलाव किया है कि यह सिर्फ व्यय का हिसाब रखने वाला रिकॉर्ड ना हो बल्कि न्यायसंगत विकास का एक रणनीतिक ब्लूप्रिंट हो। इस क्रम में वर्ष 2017-18 से बजट को जनवरी के अंत या फरवरी के पहले दिन पेश करने की परंपरा शुरू की गई है।

इसे एक बड़ा बदलाव बताते हुए वित्त मंत्री ने कहा है कि इससे असलियत में व्यय करने के लिए दो महीने का अतिरिक्त समय मिल जाता है। अब वित्त वर्ष शुरू होने से पहले ही बजट से संबंधित सारी विधायी प्रक्रियाएं पूरी हो जाती हैं। इससे व्यय को लेकर राज्यों व केंद्र के बीच सामंजस्य बनाने में मदद मिली है। राज्यों को फंडिंग, परियोजनाओं के लिए कोष जुटाने या उधारी लेने जैसे मामलों में वित्त वर्ष शुरू होने से पहले ही फैसला लेना आसान हो गया है।

ऑयल बॉन्ड्स पर तीखा हमला 

बजटीय प्रक्रिया और इसमें देने वाले आंकड़ों को लेकर अब ज्यादा पारदर्शिता होती है और इसको विश्व बैंक व अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी संस्थाएं भी पसंद करती हैं। इससे वैश्विक स्तर पर भारत की साख बढ़ी है। इस क्रम में सीतारमण ने पूर्व की कांग्रेस सरकारों को कटघरे में खड़ा किया है कि किस तरह से उनके कार्यकाल में ऑयल बॉन्ड्स जारी करने को या उधारी को छिपाया जाता रहा था ताकि वित्तीय घाटे को कम करके दिखाया जा सके।

ऑयल बॉन्ड्स का उन्होंने खास तौर पर जिक्र करते हुए कहा है कि, “यह भविष्य की पीढ़ी पर बोझ डालने वाला होता था। यूपीए सरकार के दौरान हमेशा बजट के आंकडों में बदलाव किया जाता था।” सरकारी खर्चे को एक ही खाते के जरिए करने के नये तरीके के बारे में सीतारमण ने कहा है कि इससे 15 हजार करोड़ रुपये की राशि की बचत अभी तक की गई है। इस व्यवस्था के तहत हर राज्य को भी केंद्र पोषित परियोजनाओं से प्राप्त राशि को खर्चे करने के लिए सिंगल नोडल एजेंसी (एसएनए) की चिन्हित करना पड़ता है।