नौतपा (नौ दिन की तपन)को देखते हुए प्रभु श्री रामलला सरकार के पहनावे में भी बदलाव किया गया है। इस समय रामलला को हल्के सूती मलमल पर पारंपरिक टाई-डाई विधि की बंधेज, बाटिक व शिबोरी हस्तकला से सुसज्जित कपड़े पहनाए जा रहे हैं। इसे राजस्थान, मध्यप्रदेश व उत्तराखंड के क्लस्टर की 1500 श्रम साधक महिलाओं ने तैयार किया है। भीषण गर्मी से श्रीराम लला को राहत देने के लिए कूलर भी लगाया गया है और भोग में मौसम के हिसाब से परिवर्तन किया गया है।
भगवान आंध्रप्रदेश की क़लमकारी व तेलंगाना राज्य की विश्वप्रसिद्ध पोछम्पल्ली सूती वस्त्रों से निर्मित पोशाक पहन चुके हैं। साथ ही बंगाल की सूती जामदानी, उड़ीसा से संबलपुरी वस्त्रों का प्रयोग भी प्रभु की आगामी पोशाक में हो रहा है। प्रभु के परिधान को प्राण प्रतिष्ठा के दिन से रोजाना डिज़ाइन कर दिल्ली से भेजने वाले मनीष त्रिपाठी अपनी पूरी टीम के साथ इस पुनीत कार्य में लगे हुए हैं ।
मंदिर प्रशासन और पुजारियों के लगातार संपर्क में रहते हुए और विचार विमर्श के बाद ही यह पोशाक डिज़ाइन होता है। जिसमें दिन के रंगों और मौसम का उचित ध्यान रखा जाता है । श्रीराम लला के मुख्य अर्चक सत्येंद्र दास महाराज बताते हैं कि भीषण गर्मी के दृष्टिगत भगवान के परिधान के साथ ही भोग में भी मौसम का ध्यान रखा जाता है।
राम नगरी के 125 मठ-मंदिरों व स्थलों की लौटेगी भव्यता
रामनगरी की पौराणिकता के गवाह प्राचीन मठ-मंदिरों की भव्यता नए सिरे से लौटेगी। अयोध्या के 125 मठ-मंदिरों व प्राचीन स्थलों का सरकार की ओर से सुंदरीकरण कराया जाएगा। पहले चरण में अयोध्या धाम के 37 प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। अब दूसरे चरण में 125 मठ-मंदिर, आश्रम, कुंड को भव्यता प्रदान करने की योजना है। इसको लेकर पर्यटन विभाग ने विकास परिषद को प्रस्ताव भेज दिया है।
अयोध्या के विकास के लिए सरकार ने अयोध्या जी तीर्थ विकास परिषद का गठन किया है। पर्यटन से लेकर अन्य विभागों के अधिकारी भी इस परिषद से जोड़े गए हैं, जो अपने विभाग की विकास योजनाओं को अयोध्या धाम विकास परिषद के पास भेजेंगे। इसकी समीक्षा के साथ परिमार्जन कर परिषद की कमेटी अनुमोदन करेगी। इसी क्रम में पर्यटन विभाग की ओर से परिषद को अयोध्याधाम से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित प्राचीन धरोहरों के सुंदरीकरण का प्रस्ताव भेजा गया है, जिनकी संख्या 88 है।
उपनिदेशक पर्यटन आरपी यादव ने बताया कि पर्यटन विभाग ने 2024-25 वर्ष के लिए जो प्रस्ताव भेजे हैं, उनमें जनप्रतिनिधियों के भेजे प्रस्तावों को भी शामिल किया गया है। अभी तक अयोध्या के ही 37 मंदिरों को हेरिटेज स्वरूप में विकसित करने की योजना पर काम चल रहा था। अब नए प्रस्ताव में 125 मंदिरों की सूची तैयार की गई है, जिसमें जिले के ग्रामीण इलाके में धार्मिक व तीर्थस्थलों के साथ पुरातत्व महत्व के स्थलों, मठ, मंदिरों, सरोवरों व पर्यटन महत्व के स्थलों को रखा गया है।
पर्यटन का केंद्र बनेगी समदा झील
आरपी यादव के मुताबिक प्रस्ताव में ईको टूरिज्म को विकसित करने वाली परियोजनाओं को जोड़ा गया है। सोहावल तहसील में समदा झील को ईको टूरिजम के तौर पर विकसित किया गया है। यहां ग्रामीण परिवेश को डिजाइन कर पर्यटन केंद्र के तौर पर विकसित किया गया है। इसके संचालन की जिम्मेदारी प्राइवेट एनजीओ को सौंपी गई है, जिससे इसका विकसित स्वरूप बरकरार रखा जा सके। यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई अन्य सुविधाएं विकसित की जा रही हैं।