इटली में हो रहे जी7 शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन मौजूदा वैश्विक संकटों पर चर्चा हुई। इसमें हिंद-प्रशांत इलाका आर्थिक सुरक्षा समेत अप्रवासी और चीन के मुद्दे अहम हैं। बैठक जी 7 नेताओं ने चीन की घातक व्यवसायिक नीतियों से निपटने का संकल्प लिया है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बैठक के दौरान नेताओं ने दुनिया में कुपोषण और खाद्य सुरक्षा को मजबूती देने का इरादा जताया है।
इटली में चल रहे जी7 शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन मौजूदा वैश्विक संकटों पर चर्चा हुई। इसमें हिंद-प्रशांत इलाका, आर्थिक सुरक्षा समेत अप्रवासी और चीन के मुद्दे अहम हैं। बैठक जी 7 नेताओं ने चीन की घातक व्यवसायिक नीतियों से निपटने का संकल्प लिया है।
चीनी कंपनियों पर अमेरिकी पाबंदियां, इलेक्टि्रक वाहनों पर यूरोप की नीति और रूस को चीन का समर्थन, ये सब 14 जून को बातचीत का हिस्सा रहा। नेताओं ने मानव तस्करी को खत्म करने के तरीकों समेत उन देशों में निवेश बढ़ाने पर चर्चा की जहां से लोग इस तरह की खतरनाक यात्राएं शुरू करते हैं।
दुनिया में कुपोषण और खाद्य सुरक्षा को लेकर मजबूती का इरादा जताया
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बैठक के दौरान नेताओं ने दुनिया में कुपोषण और खाद्य सुरक्षा को मजबूती देने का इरादा जताया है। जी7 का अपुलिया फूड सिस्टम्स इनिशिएटिव खाद्य सुरक्षा और पोषण के रास्ते में आने वाली रुकावटों को दूर करने से जुड़ा कदम है।
खबरों में यह भी कहा गया है मेजबान इटली की प्रधानमंत्री जार्जिया मेलोनी के हस्तक्षेप के बाद इस सम्मेलन के बाद जारी होने वाले संयुक्त बयान में गर्भपात को अधिकार मानने पर राजी होने की बात से परहेज किया गया है। यह बैठक ऐसे वक्त में हो रही है जब दुनिया पर्यावरण, युद्ध और आर्थिक बोझ तले दबी हुई है। बैठक में मेलोनी ने कहा कि हम उस नेरेटिव को कभी स्वीकार नहीं करेंगे जो बाकी के खिलाफ पश्चिम चाहता है।
जीवाश्म ईंधन की कटौती पर काम करने की प्रतिबद्धता
जी-7 की बैठक में यूक्रेन-रूस संघर्ष, पश्चिम एशिया में तनाव के अलावा जलवायु परिवर्तन की समस्या पर भी विमर्श किया जा रहा है। जी-7 के देशों अमेरिका, कनाडा, जापान, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन और इटली के नेताओं ने इस दशक में जीवाश्म ईंधन की कटौती पर तेजी से काम करने को लेकर प्रतिबद्धता जताई है। इसके तहत 2030 तक मीथेन गैस उत्सर्जन में 75 प्रतिशत तक कटौती का लक्ष्य रखा गया है।
इटली में जी-7 के सम्मेलन में जारी होने वाले एक ड्राफ्ट में कहा गया है कि इस दशक में ऊर्जा के रूप में जीवाश्म ईधन की खपत को चरणबद्ध ढंग से कम करने के लिए समुचित कार्रवाई की जाएगी। हानिकारक गैसों के उत्सर्जन को उत्तम तकनीक से 2050 तक नेट जीरो करने के लक्ष्य को प्राप्त करने की कार्यायोजना पर तेजी से अमल करने की जरूरत बताई गई।