लखनऊ: हजरत इमाम हुसैन अस के शान्ति दूत हज़रत मुस्लिम की शहादत को याद करते हुए करबला शाह नसीरूद्दीन हैदर डालीगंज में सफ़ीरे हुसैन हज़रत मुस्लिम के ग़म का आयोजन किया गया। यह आयोजन अंजुमने ज़ायरीने करबला शाह नसीरूद्दीन हैदर की ओर से हुआ।
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इस दौरान मजलिस को यूनिटी डिग्री कालेज के पूर्व प्राचार्य मौलाना डॉ. सैय्यद अनवर हुसैन ने कहा कि पैग़म्बर साहब के नवासे हज़रत इमाम हुसैन अस ने देखा, यज़ीद दीने इस्लाम को मिटाने के लिये हिसा, अहंकार, अन्याय, अय्याशी तथा अरबों में पैग़म्बरे इस्लाम से पूर्व में फैली बुराईयों को अपना रहा था। हज़रत इमाम हुसैन अस ने अपने 72 साथियों सहित कुर्बानी देकर केवल इस्लाम ही नहीं बल्कि आलम-ए-इन्सानियत को भी बचा लिया।
सफ़ीरे हुसैन हज़रत मुस्लिम के ग़म में मौलाना मुम्ताज़ अली ने तिलावते कलामे पाक की प्रस्तुति की। हसन रज़ा ने सोज़ो सलाम पेश किया। बारगाहे इमाम में शायरों ने मंजूम नज़रानए अक़ीदत पेश किया। कार्यक्रम का संचालन प्रिंस इक़बाल मिर्जा ने किया। कार्यक्रम के अन्त में प्रोफेसर सरवर हुसैन रिज़वी ने लोगों का शुक्रिया अदा किया।