कानपुर में गंगा बैराज मार्ग से लखनऊ जा रहे कानपुर के लोगों को अब सरैया क्रॉसिंग के बाद मरहला चौराहे पर ग्रीन सिग्नल का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इस मार्ग पर बढ़ते यातायात को देखते हुए सेतु निगम ने अब क्रॉसिंग पर बन रहे ओवरब्रिज को मरहला चौराहे के पार उतारने की योजना बनाई है। इससे वाहन न तो क्रॉसिंग पर जाम में फंसेंगे और न ही चौराहे पर।
सरैया रेलवे क्रॉसिंग पर सेतु निगम ढाई साल से रेलवे ओवर ब्रिज बना रहा है। पहले चार लेन के इस पुल को 738 मीटर लंबा बनाया जा रहा था, जिसकी निर्माण लागत 75 करोड़ रुपये थी। इस पुल का करीब 60 फीसदी कार्य होने के बाद वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में तय हुआ कि इस पुल को बैराज से शुक्लागंज की तरफ और लंबा बनाते हुए क्रॉसिंग के बाद स्थित व्यस्त मरहला चौराहे को भी पार करते हुए उतारा जाए।
इससे यह फायदा होगा कि इस रूट से लखनऊ आने-जाने में चौराहे पर जाम का सामना नहीं करना पड़ेगा। यह फैसला होने के बाद वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर सेतु निगम ने काम बंद करते हुए इस पुल को सरैया रेलवे क्रॉसिंग के साथ ही मरहला चौराहे को भी पार करते हुए 1100 मीटर लंबा बनाने का प्रस्ताव तैयार किया। इससे पुल की लागत भी 70 करोड़ रुपये बढ़ गई।
हरी झंडी मिलते ही निर्माण पूरा करने की तैयारी
75 करोड़ से सरैया पर बने रहा आरओबी अब 145 करोड़ रुपये में बनकर तैयार होगा। बता दें कि इस रूट पर रोज 50,000 से ज्यादा लोगों का आवागमन होता है। बढ़ी हुई लागत को उच्च स्तरीय बैठक में संस्तुति के साथ ही कैबिनेट नोट में शामिल करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। यूपी कैबिनेट की पहली बैठक में बढ़ी लागत को हरी झंडी मिलते ही निर्माण पूरा करने की तैयारी है। फिलहाल पुल का निर्माण बंद है।
ऐसे समझें कैसे सफर होगा आसान
अभी तक वाहन बैराज मार्ग से होकर सरैया क्रॉसिंग से होते हुए मरहला चौराहे पहुंचते हैं। यहां से लखनऊ जाने के दो रास्ते हैं। चौराहे से बाएं मुड़कर वाया उन्नाव होते हुए नेशनल हाईवे से लखनऊ जाया जा सकता है। दूसरा रास्ता चौराहे से एकदम सीधे आजाद मार्ग होते हुए जाजमऊ पुल से पहले जुड़ता है। मरहला चौराहे पर उन्नाव आने वाले वाहन शुक्लागंज की ओर जाते हैं। आजाद मार्ग से भी काफी वाहन आते हैं। ऐसे में दिन भर में कई बार जाम लगता है। ऐसे में मरहला चौराहे पर यातायात न फंसे, इसलिए ब्रिज की लंबाई बढ़ाई जा रही है।
सरैया क्रॉसिंग पुल की लंबाई और लागत बढ़ने के प्रस्ताव को शासन स्तर पर सहमति मिल चुकी है। लागत ज्यादा होने की वजह से इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिलना जरूरी है। इसलिए इसे कैबिनेट की बैठक के लिए भेजा गया है, वहां से स्वीकृति और शासनादेश जारी होते ही पुल का शेष निर्माण शुरू करा दिया जाएगा। -विजय कुमार सेन, प्रोजेक्ट मैनेजर, सेतु निगम