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यूपी के 800 गांव घिरे, छह की मौत… हजारों लोगों का पलायन

भारी बारिश और नेपाल से छोड़े गए पानी के बाद यूपी के कई शहरों में अब बाढ़ का असर विकराल रूप लेता जा रहा है। बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, बलरामपुर, अयोध्या, अंबेडकरनगर, बाराबंकी, सीतापुर के करीब 250 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। वहीं, लखीमपुर खीरी के 150, शाहजहांपुर के 30, बदायूं के 70, बरेली के 70 और पीलीभीत के करीब 222 गांव की बड़ी आबादी बाढ़ के पानी से घिरी हुई है। पूर्वांचल के बलिया में भी बाढ़ की स्थिति के चलते कुछ घर बहने की खबर है।

वहीं, शाहजहांपुर में गर्रा नदी की बाढ़ का पानी दूसरे दिन शुक्रवार को भी दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर रहने के कारण कार-बाइक व अन्य छोटे वाहनों का संचालन बंद रखा गया।

रोडवेज बसें भी नहीं चलीं। मुरादाबाद- लखनऊ के बीच नए 22 कॉशन तय करके ट्रेनों को भी धीमी गति से गुजारा जा रहा है।

राजकीय मेडिकल कॉलेज में बाढ़ का पानी भरने के बाद मरीजों को आसपास के जिन अस्पतालों में शिफ्ट किया गया था, उनमें भी पानी भरने के बाद समस्या विकराल हो गई।

वहीं शहर के बाहरी हिस्से में बसी आवास विकास कॉलोनी समेत अन्य निचले इलाकों से करीब 10 हजार लोगों ने पलायन किया है। एनडीआरएफ की टीम ने 225 लोगों को बचाया।

बाढ़ से एसएस कॉलेज के पुस्तकालय में रखीं सैकड़ों साल पुरानी पांडुलिपियां नष्ट हो गई हैं। खीरी, शाहजहांपुर और बरेली में बाढ़ ने छह और लोगों की जान ले ली।

बृहस्पतिवार पूर्वाह्न 11 बजे हाईवे पर बाढ़ का पानी आने के बाद वाहनों का संचालन रोक दिया गया था। दोपहर तीन बजे से केवल भारी वाहनों को धीमी गति से जाने की अनुमति दी गई थी।

रात में पानी का बहाव तेज होने के बाद स्थिति और खराब हो गई। बरेली मोड़ से बंधरा तक तीन से चार फुट पानी रहने के कारण शुक्रवार को भी छोटे वाहनों का संचालन शुरू नहीं किया गया।

कई जगह बैरियर लगाकर इन वाहनों को रोका गया। उन्हें वैकल्पिक मार्गों पर भेजा गया। बाढ़ से घिरे लोगों ने शुक्रवार को सुरक्षित स्थानों की ओर रुख कर लिया।

वे ट्रैक्टर-ट्रॉली और नाव से सुरक्षित स्थान पर पहुंचे। जिला प्रशासन के मुताबिक अब तक शहर के पांच हजार से अधिक लोगों को विस्थापित किया जा चुका है।

कांशीराम कॉलोनी, आवास विकास कॉलोनी और अजीजगंज क्षेत्र की अधिकतर कॉलोनियों में बने मकानों में कई फुट पानी भरने के बाद एनडीआरएफ टीम ने शुक्रवार सुबह से ही बचाव कार्य शुरू कर फंसे 225 लोगों को बचाया।

बाढ़ ने एसएस कॉलेज को भी बड़ा नुकसान पहुंचाया है। कॉलेज के पुस्तकालय में रखीं सैकड़ों साल पुरानी पांडुलिपियां नष्ट हो गई हैं। खीरी में भी बाढ़ के हालात अभी काफी खराब है।

तीन सौ से अधिक जिन गांवों में पानी भर गया था, उनमें से कुछ में जलस्तर कम हुआ है तो कहीं यथास्थिति है। जबकि निघासन तहसील क्षेत्र के 18 और गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। निघासन-पलिया रूट भी बंद कर दिया गया है।

अब भी मुश्किल में अवध
अवध के आठ जिलों में बाढ़ से मची तबाही के बाद स्थिति अब धीरे-धीरे सुधरनी शुरू हुई है। उफनाई नदियां धीरे-धीरे शांत हो रही हैं। जल स्तर कम हो रहा है।

अब असल समस्या कटान की है। अंबेडकरनगर और बहराइच में सरयू का जलस्तर घटा है। जल स्तर कम होने से गांवों से पानी तो निकल गया, लेकिन धान की फसल नष्ट हो गई है।

नेपाल के कुसुम बैराज से 47,682 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद जमुनहा बैराज पर नदी का जलस्तर 127.35 से बढ़ कर 127.90 मीटर पहुंच गया जो खतरे के निशान से 20 सेंटीमीटर अधिक है।

अयोध्या में सरयू का जल स्तर 22 सेमी घटा है। इसके बाद भी नदी लाल निशान से 10 सेमी ऊपर बह रही है। सीतापुर मेंनदी की कटान में 34 घर बह चुके हैं।

बाढ़ ने छह और लोगों की जान ली
खीरी, शाहजहांपुर और बरेली में बाढ़ ने छह और लोगों की जान ले ली। शाहजहांपुर शहर से सटे मौजमपुर गांव में खेत जा रहे राजकुमार (35) की पैर फिसलने से पानी में डूबकर मौत हो गई।

बरेली के भोजीपुरा इलाके में शुक्रवार को देवरनियां नदी में केकड़े का शिकार करने गया नरेंद्र पाल (35) डूब गया। शाम तक गोताखोर खोजते रहे, लेकिन उसका शव नहीं मिला।

भमोरा में एक दिन पहले दोस्तों के साथ अरिल नदी में नहाने गया किशोर शिवा डूब गया था। शुक्रवार को आधा किमी. दूर बने बांध में उसका शव फंसा मिला।

खोरी की ग्राम पंचायत सकेधू के मजरा जहदी में शुक्रवार शाम घर के बाहर पानी में पहुंचे कुलदीप (12) पुत्र रैदास को मगरमच्छ ने दबोचकर मार डाला।

दवा न मिल पाने के कारण लगदहन गांव में बिटोला देवी (65) की मौत हो गई। कोतवाली सदर के मोहल्ला हिदायतनगर निवासी समीर की उल्ल नदी में डूबने से मौत हो गई।

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