नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत एकमात्र ऐसा देश है जो कम मुद्रास्फीति के साथ उच्च विकास का अनुभव कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की राजकोषीय समझदारी दुनिया के लिए एक मॉडल के रूप में काम करती है।
प्रधानमंत्री माेदी विज्ञान भवन में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित ‘जर्नी टुवर्ड्स विकसित भारत : केंद्रीय बजट 2024-25 पश्चात सम्मेलन’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, “आज जब सारे देश कम विकास और उच्च मुद्रास्फीति से जूझ रहे हैं, तो ऐसी परिस्थिति में उच्च विकास और कम मुद्रास्फीति वाला भारत इकलौता देश है। भारत ने ये ग्रोथ तब हासिल करके दिखाई है, जब पिछले 10 साल में अर्थव्यवस्था को झटका देने वाले अनेक संकट आए। हमने हर संकट का मुकाबला किया, हर चुनौती का समाधान किया। अगर ये संकट न आते तो आज भारत जहां पहुंचा है, उससे अधिक ऊंचाई पर होता।”
महामारी के दौरान उद्योग जगत के साथ अपनी बातचीत को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, तब मैंने कहा था कि भारत बहुत जल्द विकास के पथ पर दौड़ेगा। आज भारत 8 प्रतिशत की गति से विकास कर रहा है। उसी के चलते आज हम विकसित भारत की ओर यात्रा पर चर्चा कर रहे हैं। यह बदलाव सिर्फ भावनाओं का नहीं, बल्कि आत्मविश्वास का है। आज भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और जल्द ही यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी।” उन्होंने कहा कि आज भारत, दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी आर्थिक ताकत है और वो दिन दूर नहीं जब भारत, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
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चुनाव के दौरान भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के अपने वादे को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह जिस बिरादरी से आते हैं उसकी पहचान बन गई है कि चुनाव से पहले जो बातें करते हैं, वो चुनाव के बाद भुला देते हैं, लेकिन मैं उस बिरादरी में अपवाद हूं। इसलिए मैं आपको याद दिलाता हूं कि मैंने कहा था कि मेरे तीसरे टर्म में देश, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। भारत बहुत सधे हुए कदमों से लगातार आगे बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 में, जब पिछली सरकार का आखिरी बजट आया था, वो 16 लाख करोड़ रुपये का था। आज हमारी सरकार में बजट तीन गुना बढ़कर 48 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि पूंजीगत व्यय को संसाधन निवेश का सबसे बड़ा उत्पादक माध्यम कहा जाता है। 2004 में, यूपीए सरकार के पहले बजट में, पूंजीगत व्यय लगभग 90 हजार करोड़ रुपये था। 10 साल सरकार चलाने के बाद 2014 में यूपीए सरकार इसे बढ़ाकर 2 लाख करोड़ रुपये तक ही पहुंचा पाई थी। आज, पूंजीगत व्यय 11 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक है।
उन्होंने कहा कि हमने पिछली सरकार के 10 वर्षों की तुलना में रेलवे बजट में 8 गुना वृद्धि की है, राजमार्ग बजट में 8 गुना वृद्धि की है, कृषि बजट में 4 गुना से अधिक की वृद्धि की है तथा रक्षा बजट में दोगुने से अधिक की वृद्धि की है।