-सेना ने वायनाड में भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्रों में बचाव अभियान तेज किया-तिरुवनंतपुरम, सुलूर और तंजावुर में कई विमानों को स्टैंडबाय पर रखा गया
नई दिल्ली: केरल के वायनाड में विनाशकारी भूस्खलनों के बाद भारतीय सेना ने बचाव एवं राहत कार्यों के दूसरे दिन बुधवार को जमींदोज हुए गांवों में फंसे लोगों को बचाने के लिए अपने प्रयासों को तेज कर दिया है। नागरिक प्रशासन के अनुरोध पर चिकित्सा कर्मचारियों सहित लगभग 500 कर्मियों की क्षमता वाले छह एचएडीआर कॉलम को ब्रिजिंग उपकरण और बचाव कुत्तों के साथ तैनात किया गया है। सेना ने लगभग 1000 लोगों को बचाकर उन्हें चिकित्सा सहायता दी है और सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। वायनाड लैंडस्लाइड में मौत का आंकड़ा बढ़कर 167 हो गया है, जिसमें सेना ने लगभग 86 लोगों के शव बरामद किए हैं।
सेना ने एचएडीआर प्रयासों के समन्वय के लिए कोझीकोड में ब्रिगेडियर अर्जुन सेगन के साथ कर्नाटक और केरल उपक्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल वीटी मैथ्यू की अध्यक्षता में एक ’कमांड और कंट्रोल सेंटर’ स्थापित किया है। ब्रिगेडियर सेगन ने आज तड़के प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया और बचाव अभियान के आगे के संचालन के लिए सेना की टुकड़ियों का मार्गदर्शन किया। सैनिक भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों के छह किलोमीटर क्षेत्र में बचाव अभियान चला रहे हैं। सेना की ओर से दवा और प्राथमिक चिकित्सा देने के अलावा ईसीएचएस पॉलीक्लिनिक, डॉक्टरों, नर्सिंग सहायकों और एम्बुलेंस की सेवाएं दी जा रही हैं।
एचएडीआर टुकड़ियों का हिस्सा बनने वाले सैनिकों को कन्नूर, कोझीकोड और तिरुवनंतपुरम से जुटाया गया है। कन्नूर के डीएससी सेंटरऔर कोझीकोड से 122 इन्फैंट्री बटालियन (प्रादेशिक सेना) की दो-दो टुकड़ियां तैनात की गई, जिनमें कुल 225 कर्मी हैं। यह सैन्य कर्मी सबसे पहले पहुंचने वाले बचाव टीम का हिस्सा थे, जिन्होंने एनडीआरएफ तथा अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर बचाव अभियान शुरू किया। बचाव और राहत कार्यों को और बढ़ाने के लिए 135 कर्मियों की क्षमता वाली दो चिकित्सा टीमों सहित दो अतिरिक्त एचएडीआर टुकड़ियों को त्रिवेंद्रम से कोझीकोड ले जाया गया है।
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केरल की राज्य सरकार ने सेना से राहत एवं बचाव कार्य में शामिल होने के लिए अनुरोध किया था। इसके जवाब में मद्रास इंजीनियर ग्रुप एंड सेंटर (एमई जी एंड सेंटर) से सेना के इंजीनियर टास्क फोर्स को 123 कर्मियों के साथ 150 फीट बेलीब्रिज, तीन जेसीबी और अन्य सहायक उपकरणों के साथ प्रभावित क्षेत्र में तैनात किया गया है। मीपडी-चूरमाला रोड पर एक पुल का निर्माण कार्य प्रगति पर है, जिसमें हवाई प्रयास का उपयोग करके धारा के दूसरी ओर कुछ मिट्टी हटाने वाले उपकरणों को शामिल किया गया है। पैदल पुल का निर्माण 30-31 जुलाई की रात में पूरा कर लिया गया है।
दिल्ली कैंट से इंजीनियर्स स्टोर्स डिपो 110 फीट बेली ब्रिज का एक सेट, तीन खोज और बचाव डॉग टीमों को लेकर एक सी-17 विमान से कन्नूर में उतरा है। नागरिक प्रशासन की जरूरतों के आधार पर अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता का आकलन किया जा रहा है। भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों ने आज दिन में खाद्य पदार्थ और अन्य राहत सामग्री गिराने के लिए कई उड़ानें भरीं। भूस्खलन के बाद कटे हुए क्षेत्रों से नागरिकों को निकालने का काम भी किया गया। नौसेना के विमानों ने भी एसडीआरएफ और राज्य प्रशासन के परिवहन में सहायता दी। जरूरत पड़ने पर हवाई बचाव अभियान चलाने के लिएतिरुवनंतपुरम, सुलूर और तंजावुर में कई विमानों को स्टैंडबाय पर रखा गया है।