
उत्तर प्रदेश के बरेली में दवा व्यवसायी के कथित फर्जी एनकाउंटर केस में कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए सभी आरोपी पुलिसकर्मियों को बरी कर दिया है। यह मामला उस समय चर्चा में आया था जब आरोप लगा कि एके 47 से गोलियां चलाकर व्यवसायी की हत्या की गई थी। घटना ने प्रदेशभर में सनसनी फैला दी थी। अब इस फैसले के बाद कई सवाल फिर से उठने लगे हैं, वहीं पीड़ित परिवार ने न्याय की मांग दोहराई है।
यह मामला करीब एक दशक पुराना है, जब बरेली के एक प्रतिष्ठित दवा व्यवसायी को पुलिस ने कथित तौर पर अपराधी करार देकर एक मुठभेड़ में मार गिराया था। परिवार और स्थानीय लोगों ने इस मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए जोरदार विरोध किया था। मीडिया में भी यह मामला खूब सुर्खियों में रहा था, क्योंकि एनकाउंटर में एके 47 जैसे खतरनाक हथियार का इस्तेमाल किया गया था, जो आमतौर पर सिर्फ सेना या खास अभियानों में उपयोग में लाए जाते हैं।
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जांच के दौरान कई सवाल खड़े हुए – क्या व्यवसायी सच में अपराधी था? क्या पुलिस के पास पर्याप्त सबूत थे? एनकाउंटर की परिस्थितियाँ और इस्तेमाल हुए हथियारों ने मामले को और संदेहास्पद बना दिया। लेकिन अब कोर्ट ने उपलब्ध साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर सभी पुलिसकर्मियों को बरी कर दिया है।
फैसले के बाद पीड़ित परिवार ने इसे न्याय का मज़ाक बताया है। उनका कहना है कि पूरा मामला दबा दिया गया और सच्चाई सामने नहीं आने दी गई। वहीं पुलिस विभाग ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए अपने अधिकारियों को निर्दोष बताया है।
इस निर्णय के बाद एक बार फिर से यूपी में पुलिस द्वारा किए जाने वाले एनकाउंटर की प्रक्रिया और पारदर्शिता को लेकर बहस शुरू हो गई है। सामाजिक कार्यकर्ता और मानवाधिकार संगठन अब इस केस की उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं।