जब सूर्य की रोशनी सफेद होती है, तो उसे ‘पीला तारा’ क्यों कहते है

अंतरिक्ष की कई बातें हैरान करती हैं. इससे जुड़े कई ऐसे तथ्य हैं, जिनकी असलियत कुछ और होती है जबकि कहानी कुछ और ही होती है. ऐसा ही एक सवाल कोरा पर पूछा गया है जो लोगों का ध्यान खींच रहा है. दरअसल, एक यूजर ने पूछा है कि जब सूर्य से आने वाली रोशनी सफेद होती है तो फिर उसे पीला तारा क्यों कहा जाता है? इसके जवाब में यूं तो कई लोगों ने अपनी बात रखी है, लेकिन एक यूजर ने तथ्यों के साथ यह कहकर चौंका दिया कि सूर्य तो “पीला तारा” भी नहीं है.

सूर्य के बारे में कई तथ्य बहुत ही रोचक हैं और एक बड़ी बात जिसका कौतूहल बहुत लोगों को होता है वह यह कि आखिर उसका रंग क्या है. आकाश में यह आमतौर पर चमकीले पीले रंग कि दिखाई देता है. पर वहीं सूर्य सूर्यास्त और सूर्योदय के समय लाल नारंगी और उनके कई शेड्स में दिखता है. इतना नहीं जो सूर्य से प्रकाश आता है वह पीले रंग का हमें दिखता है, लेकिन वास्तव में वह सफेद प्रकाश ही होता है.

ऐसे में यह सवाल उठता है कि जब सूर्य की रोशनी सफेद होती है, तो फिर सूर्य को पीला तारा क्यों कहा जाता है. इसके लिए हमें पहले सूर्य की रोशनी को समझना होगा. दरअसल सूर्य की रोशनी बहुत से रंगों की तरंगों से मिलकर बनती है और सभी का मिलाजुला रंग सफेद होता है.

हमारे सूर्य के पीले दिखने के पीछे स्कैटरिंग ऑफ लाइट को बताया जाता है, जिसका मतलब प्रकाश का बिखरना है. सूर्य से आने वाली रोशनी के हिस्से अलग अलग रंग के होते हैं और वायुमंडल से गुजरने से कुछ तरंगें बिखर जाती है जिससे सूर्य और उसकी रोशनी पीली दिखती है और सूर्य को पीला तारा समझा जाता है.

हकीकत यह है कि वैज्ञानिक सूर्य को ना तो सफेद तारा भी नहीं कहते हैं और ना ही पीला तारा कहते है. वैज्ञानिकों का तारों का वर्गीकरण इसकी वजह है. वे तारों के प्रकार को सतह का तापमान और उससे संबंधित रंग के आधार पर समूह में रखते हैं. इस कारण सूर्य जी प्रकार का तारा होता है जो कि अमूमन पीले रंग के दिखते हैं. इसी लिए बहुत से लोग सूर्य को पीला तारा कहते हैं.